मणिपुर में संदिग्ध कुकी उग्रवादियों की गोलीबारी में बीएसएफ जवान की मौत, दो जवान घायल
मणिपुर में इंटरनेट पर प्रतिबंध 10 जून तक बढ़ाया गया
इंफाल. मणिपुर के काकचिंग जिले के सेरौ इलाके में मंगलवार सुबह संदिग्ध कुकी उग्रवादियों के साथ एक मुठभेड़ में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के एक जवान की मृत्यु हो गई जबकि असम राइफल्स के दो जवान घायल हो गए. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. अधिकारियों ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच यह गोलीबारी काकचिंग जिले के सुगनू में सैरो इलाके स्थित एक स्कूल में हुई.
बीएसएफ के एक अधिकारी ने बताया कि संदिग्ध कुकी शरारती तत्वों ने सुबह करीब सवा चार बजे सेरौ प्रैक्टिकल हाई स्कूल में तैनात बीएसएफ जवानों को निशाना बनाकर अंधाधुंध गोलीबारी की. अधिकारी ने बताया कि इस गोलीबारी में कांस्टेबल रंजीत यादव को गोली लग गई और उन्हें काकचिंग के ‘जीवन अस्पताल’ ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
भारतीय सेना के दीमापुर स्थित स्पीयर कोर मुख्यालय ने ट्विटर पर जानकारी दी कि असम राइफल्स के दो घायल जवानों को हवाई मार्ग से मंत्रिपुखरी ले जाया गया है और तलाशी अभियान जारी है. स्पीयर कोर ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, ”मणिपुर में सुगनू/सेरौ इलाकों में असम राइफल्स, बीएसएफ तथा पुलिस द्वारा चलाए गए व्यापक अभियान के दौरान पांच-छह जून की दरमियानी रात सुरक्षा बलों और विद्रोहियों के बीच रुक-रुक कर गोलीबारी हुई. सुरक्षा बलों ने गोलीबारी का समुचित जवाब दिया.” पुलिस ने बताया कि पश्चिमी इंफाल जिले के फायेंग में भी सुरक्षा बलों और संदिग्ध कुकी उग्रवादियों के बीच भीषण गोलीबारी की सूचना है.
इससे पहले नाराज ग्रामीणों ने रविवार रात मणिपुर के काकचिंग जिले के सुगनू में एक परित्यक्त शिविर में आग लगा दी थी, जहां यूनाइटेड कुकी लिबरेशन फ्रंट (यूकेएलएफ) के उग्रवादी सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद ठहरे हुए थे. काकचिंग जिले के सेरौ स्थित सुगनू से कांग्रेस विधायक के. रंजीत के आवास सहित कम से कम 100 परित्यक्त घरों को उग्रवादियों द्वारा आग लगाये जाने के बाद ग्रामीण अपना आक्रोष निकाल रहे थे. इस बीच, मणिपुर सरकार ने इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध मंगलवार को 10 जून तक बढ़ा दिया.
आयुक्त (गृह) एच ज्ञान प्रकाश द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया है, ”ब्रॉडबैंड सहित मोबाइल डेटा सेवाओं का निलंबन 10 जून की अपराह्न 3 बजे तक बढ़ा दिया गया है.” यह प्रतिबंध पहली बार 3 मई को लगाया गया था. मणिपुर में एक महीने पहले भड़की जातीय हिंसा में कम से कम 98 लोगों की मौत हो गई थी और 310 अन्य घायल हो गए थे. वर्तमान में कुल 37,450 लोग 272 राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं.
अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद पहली बार 3 मई को झड़पें हुईं थीं. मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. जनजातीय नगा और कुकी जनसंख्या का 40 प्रतिशत हैं और पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं. राज्य में शांति बहाल करने के लिए करीब सेना और असम राइफल्स के 10,000 जवानों को तैनात किया गया है.
मणिपुर में इंटरनेट पर प्रतिबंध 10 जून तक बढ़ाया गया
मणिपुर सरकार ने मंगलवार को इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध दस जून तक के लिए बढ़ा दिया है. आयुक्त (गृह) एच ज्ञान प्रकाश की ओर से जारी एक आदेश के अनुसार ब्रॉडबैंड सहित मोबाइल डेटा सेवा पर रोक को दस जून अपराह्न तीन बजे तक के लिए बढ़ाया गया है. ये प्रतिबंध तीन मई को लगाए गए थे.
गौरतलब है कि करीब एक माह पहले मणिपुर में जातीय हिंसा में कम के कम 98 लोगों की मौत हुई थी और 310 लोग घायल हुए थे. फिलहाल 37,450 लोग 272 राहत शिविरों में रह रहे हैं. मेइती समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद मणिपुर में जातीय हिंसा भड़क उठी थी. शांति बहाली के लिए सेना और असम रायफल्स के कम से कम 10 हजार जवानों को राज्य में तैनात किया गया है.