बजट 2023-24 भारत को केवल कर्ज में डुबो देगा: सिसोदिया

नयी दिल्ली. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा पेश बजट 2023-24 ‘जुमला’ के अलावा और कुछ नहीं है और यह देश को कर्ज में डुबो देगा. उन्होंने इस बजट को ‘‘निराशाजनक’’ करार दिया है.

सिसोदिया दिल्ली के वित्त मंत्री भी हैं. उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि इस बजट से 15 लाख करोड़ रुपये का कर्ज बढ़ जायेगा.
उन्होंने कहा, ‘‘आज का बजट देश के लिए खतरनाक है. कई बजट सिर्फ लोगों को निराश करते हैं और यह उनमें से एक है. दीर्घावधि में, यह एक बहुत ही खतरनाक बजट होगा, क्योंकि यह भारत को कर्ज में धकेल देगा.’’ इससे पूर्व दिन में उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में इस बजट को ‘जुमला’ बताया था.

उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हम सभी जानते हैं कि भाजपा ने ‘अच्छे दिन’ लाने जैसे वादे को ‘जुमला’ बना दिया है. भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र का बजट एक ‘जुमला’ के अलावा और कुछ नहीं है. हमने अतीत में ऐसे कई जुमले सुने हैं- जैसे बुलेट ट्रेन की शुरुआत या किसानों की आय दोगुनी करने या 60 लाख रोजगार सृजन करने का वादा.’’

उन्होंने आरोप लगाया कि यह बजट देश को कर्ज में डुबो देगा. उन्होंने दावा किया कि 2014 तक केंद्र पर 53 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था और भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के लगातार दो कार्यकाल के दौरान देश पर 150 लाख करोड़ रुपये का कर्ज हो गया है और ‘‘यह बजट देश को 15 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त कर्ज में डुबो देगा.’’

उन्होंने कहा, ‘‘जब सरकार ऋण राशि बढ़ाती है, तो अर्थव्यवस्था केवल नीचे जाती है और यह फिर कभी ऊपर नहीं आ सकती है. जब ऋण राशि बढ़ती है, तो महंगाई और बेरोजगारी बढ़ती है.’’ उन्होंने कहा कि बजट दिल्लीवासियों के लिए ‘‘निराशाजनक’’ है. उन्होंने कहा कि कर अनुदान के रूप में राष्ट्रीय राजधानी को सिर्फ 325 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जबकि दिल्ली 1.75 लाख करोड़ रुपये का आयकर देती है.

सिसोदिया ने दावा कि पिछले 22 वर्षों में 325 करोड़ रुपये की राशि बदली नहीं है. उन्होंने दावा किया कि बजट में रोजगार सृजन या महंगाई को नियंत्रित करने के लिए कुछ भी नहीं किया गया है. उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली के लिए यह बिना फायदे वाला बजट है. हम कर के रूप में 1.78 लाख करोड़ रुपये का भुगतान करते हैं, लेकिन बदले में हमें केवल 325 करोड़ रुपये आवंटित किए जाते हैं.

बाकी राज्यों को केंद्रीय करों का 42 प्रतिशत मिलता है और दिल्ली को केवल 325 करोड़ रुपये मिलते हैं. दिल्ली के साथ हमेशा बुरा व्यवहार किया जाता है. ऐसा केवल आम आदमी पार्टी सरकार के साथ नहीं है, बल्कि 2001 से यही स्थिति है. बाईस वर्ष बीत गए, लेकिन हमें वही राशि मिली. यह दिल्ली के साथ अन्याय है.’’ उपमुख्यमंत्री ने इस बात पर भी अफसोस जताया कि भले ही दूसरे राज्यों के नगर निगमों को केंद्र से धनराशि मिलती है, लेकिन एमसीडी को ऐसी कोई धनराशि नहीं मिलती है.

सिसोदिया ने यह भी दावा किया कि स्वास्थ्य और शिक्षा बजट में कटौती की गई है. उन्होंने कहा, ‘‘वित्त मंत्री इसे समावेशी विकास का बजट कह रही थीं, लेकिन अगर इसमें शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च नहीं किया जायेगा तो यह समावेशी कैसे है? देश में प्रति व्यक्ति चिकित्सकों की कमी होने के बावजूद नया अस्पताल बनाने की कोई घोषणा नहीं की गई है. स्थिति गरीब देशों से भी बदतर है.’’

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