कांग्रेस मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ. में चुनावी रणनीति पर शुक्रवार से दो दिवसीय मंथन करेगी

नयी दिल्ली. कर्नाटक में चुनावी सफलता के बाद कांग्रेस मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ. में अपनी तैयारियों तथा चुनावी संभावनाओं पर शुक्रवार से दो दिवसीय मंथन शुरू करेगी. सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस की मध्य प्रदेश और राजस्थान इकाइयां 26 मई को अपनी तैयारियों और उठाए जाने वाले कदमों पर अलग-अलग चर्चा करेंगी, वहीं पार्टी 27 मई को छत्तीसगढ. पर रणनीतिक बैठक करेगी.

कर्नाटक में अपनी चुनावी जीत से उत्साहित, कांग्रेस ने तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव के अगले दौर की तैयारी शुरू कर दी है, जिसमें पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे नेतृत्व कर रहे हैं. चुनाव रणनीतिकार एवं प्रशांत किशोर के पूर्व सहयोगी सुनील कानूगोलू विधानसभा चुनाव के अगले दौर के लिए पार्टी की तैयारियों की रणनीति बनाने के वास्ते प्रदेश इकाइयों के नेताओं के साथ विचार-विमर्श का हिस्सा होंगे.

राजस्थान और छत्तीसगढ. में कांग्रेस का शासन है, जहां वह “कर्नाटक रणनीति” को दोहराते हुए सत्ता विरोधी लहर और गुटबाजी को दूर करने की उम्मीद कर रही है. पार्टी मध्य प्रदेश में भी वापसी करने के लिए जी-जान से जुटी है, जहां वह ज्योतिरादित्य सिंधिया और कुछ विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद सत्ता से बाहर हो गई थी.

पांच राज्यों-राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ., तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव साल के अंत तक होने हैं और कांग्रेस इस बार कोई कसर नहीं छोड़ रही है. इस महीने की शुरुआत में कर्नाटक चुनाव में पार्टी की शानदार जीत ने जमीनी स्तर पर कांग्रेस के कैडर का उत्साह बढ.ाने में मदद की है, जो पार्टी के लिए एक और जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं. सूत्रों ने कहा कि तेलंगाना और मिजोरम के लिए रणनीतिक बैठकें बाद में होंगी.

खरगे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) मुख्यालय में इन राज्यों के पार्टी नेताओं के साथ अलग-अलग बैठकें करेंगे. राजस्थान और छत्तीसगढ. के मुख्यमंत्रियों, प्रदेश इकाई के प्रमुखों या प्रभारियों और संबंधित राज्यों के वरिष्ठ नेताओं के बैठकों में भाग लेने की उम्मीद है.

इन बैठकों में तेलंगाना, मध्य प्रदेश और राजस्थान से होकर गुजरी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की सफलता और इन राज्यों में इसके प्रभाव पर भी चर्चा होने की संभावना है. इनमें से कई राज्यों में कांग्रेस को विशेष रूप से अंदरूनी कलह और गुटबाजी के कारण असाधारण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. राजस्थान में पार्टी को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच जारी झगड़े से निपटना है.

छत्तीसगढ. के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राज्य के मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच भी खुली लड़ाई है, जो मुख्यमंत्री पद के लिए दावा पेश करते रहे हैं. मध्य प्रदेश में भी, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच गुटबाजी है, जबकि तेलंगाना में, प्रदेश कांग्रेस प्रमुख रेवंत रेड्डी को राज्य के उन नेताओं से अंदरूनी कलह का सामना करना पड़ रहा है, जो उन्हें बाहरी मानते हैं.

कर्नाटक में पार्टी ने लोगों को पांच गारंटी दीं और मुफ्त उपहार की राजनीति इसके पक्ष में काम करती दिख रही है. हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में अपनी सफलता के बाद कांग्रेस मुफ्त उपहार की इस नीति को अन्य चुनावी राज्यों में आगे बढ.ा सकती है. पार्टी छत्तीसगढ., राजस्थान और मध्य प्रदेश में भाजपा के साथ सीधी टक्कर में है. तेलंगाना में कांग्रेस, भाजपा और सत्तारूढ. भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के बीच त्रिकोणीय लड़ाई है.

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