अडाणी समूह के ‘चीनी जुड़ाव’ पर कांग्रेस का सवाल: भारत में बंदरगाहों के परिचालन की अनुमति क्यों मिली

नयी दिल्ली/मुंबई. कांग्रेस ने रविवार को सरकार पर निशाना साधते हुए अडाणी समूह के कथित चीनी जुड़ाव की ओर इशारा किया और पूछा कि इस समूह को अब भी भारत में बंदरगाह के परिचालन की अनुमति क्यों दी जा रही है. केंद्र पर हमला करते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें दावा किया गया था कि सरकार ने 2022 में ‘एपीएम र्टिमनल्स मैनेजमेंट’ और ताइवान की ‘वान हाई लाइन्स’ के एक कंसोर्टियम को सुरक्षा मंजूरी देने से इनकार कर दिया था, क्योंकि विभिन्न एजेंसी को वान हाई के निदेशक और एक चीनी कंपनी के बीच संबंध का पता चला था.

रमेश ने एक बयान में कहा कि सुरक्षा मंजूरी नहीं मिलने के कारण कंसोर्टियम जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह प्राधिकरण में एक ‘कंटेनर हैंडंिलग र्टिमनल’ को संचालित करने के लिए बोली में शामिल नहीं हो सका. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह एक सरकारी नीति है, जिसके तहत चीनी जुड़ाव वाली कंपनियों और संस्थाओं को भारत में बंदरगाहों और र्टिमनल के परिचालन से रोका जा सके.

रमेश ने आरोप लगाया, ‘‘यह अडाणी समूह के चीनी जुड़ाव के बारे में नये सवाल खड़े करता है. हमने अपनी शृंखला ‘हम अडाणी के हैं कौन’ में बार-बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किये हैं. चीनी नागरिक चांग चुंग-ंिलग की अडाणी समूह के साथ करीबी निकटता है.’’ कांग्रेस नेता ने दावा किया, ‘‘उनका (चांग का) बेटा पीएमसी प्रोजेक्ट्स का मालिक है, इस कंपनी ने अडाणी समूह के लिए बंदरगाहों, र्टिमनल, रेल लाइन, बिजली लाइन और अन्य बुनियादी ढांचों का निर्माण किया है. राजस्व खुफिया निदेशालय द्वारा अडाणी समूह और पीएमसी पर 5,500 करोड़ रुपये के बिजली उपकरण घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया गया था.’’

रमेश ने यह भी दावा किया कि अडाणी समूह को शंघाई स्थित कम से कम दो जहाजरानी कंपनियों का संचालन करने के लिए जाना जाता है, जिनमें से एक कंपनी ‘‘चीन के करीबी सहयोगी उत्तर कोरिया को पेट्रोलियम उत्पादों की अवैध बिक्री’’ में शामिल थी. उन्होंने सवाला उठाया कि चीन से इतने करीबी संबंध होने के बावजूद अडाणी समूह को भारत में बंदरगाहों के परिचालन की अनुमति क्यों दी जा रही है? अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग द्वारा आरोप लगाए जाने के बाद से कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष अडाणी मुद्दे की संयुक्त संसदीय समिति से जांच की मांग पर अड़ा है.

संयुक्त विपक्ष को अडाणी समूह की कंपनियों की जांच आवश्यक लग रही है : संजय राउत

शिवसेना (उद्धव बाला साहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने रविवार को कहा कि ‘संयुक्त विपक्ष’ को लगता है कि अडाणी समूह की कंपनियों की जांच आवश्यक है और उनकी पार्टी इस मांग का समर्थन करती है. पत्रकारों से बातचीत में राउत ने कहा कि वह जांच की प्रकृति को लेकर कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के मतभेदों के बीच में नहीं फंसना चाहते हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘संयुक्त विपक्ष को लगता है कि अडाणी की कंपनियों की जांच जरूरी है और शिवसेना (यूबीटी) इसका (विपक्ष का) हिस्सा है.’’ राज्यसभा सदस्य ने कहा कि उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच और संयुक्त संसदीय समिति द्वारा जांच साथ-साथ भी हो सकती है. राउत ने कहा कि उद्योगपतियों का समर्थन किया जाना चाहिए, लेकिन उन्हें ‘‘भ्रष्ट’’ नहीं होना चाहिए.

गौरतलब है कि राकांपा प्रमुख शरद पवार ने एनडीटीवी के साथ साक्षात्कार में शुक्रवार को कहा था कि अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा शेयर के दाम के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप अडाणी समूह पर लगने के बाद उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त जांच समिति द्वारा पड़ताल ज्यादा उपयोगी सिद्ध होगी. पवार ने कहा था कि जेपीसी में सत्ताधारी पार्टी (भाजपा) का बहुमत होगा. गौरतलब है कि महाराष्ट्र में राकांपा, कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के साथ गठबंधन में है.

राउत ने कहा, ‘‘पवार ने अडाणी के खिलाफ जांच का विरोध नहीं किया है. मुद्दा सिर्फ यह है कि जांच जेपीसी की होनी चाहिए या उच्चतम न्यायालय की निगरानी वाली.’’ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर निशाना साधते हुए राउत ने दावा किया कि मुख्यमंत्री और उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत करने वाले शिवसेना के अन्य नेता पृथ्वीराज चव्हाण (कांग्रेस नेता) के मुख्यमंत्री रहते हुए भी ऐसा करने की योजना बना रहे थे.

उन्होंने दावा किया, ‘‘इन लोगों ने दिल्ली में (कांग्रेस नेता) अहमद पटेल से मुलाकात की थी.’’ चव्हाण नवंबर 2010 से सितंबर 2014 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे. राउत ने कहा कि शरद पवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत सरकार द्वारा विपक्ष के नेताओं को निशाना बनाए जाने पर रुख स्पष्ट करना चाहिए.

राउत ने दावा किया, ‘‘(गौतम) अडाणी को इसलिए निशाना बनाया गया है क्योंकि वह मोदी के बहुत करीब हैं और प्रधानमंत्री के करीबी होने के कारण उनके धन में वृद्धि हुई है.’’ मुख्यमंत्री शिंदे की उत्तर प्रदेश में अयोध्या यात्रा के संबंध में सवाल करने पर राउत ने दावा किया कि महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के किसानों को अधर में लटका छोड़ दिया है और उसके नेता ‘‘धार्मिक पर्यटन’ पर हैं.

शिवसेना (यूबीटी) नेता ने कहा कि पिछले 72 घंटों में राज्य के विभिन्न हिस्सों में बेमौसम की बारिश और ओलावृष्टि से फसलें बर्बाद हुई हैं. उन्होंने दावा किया कि सरकार ने कहा था कि वह बजट सत्र के बाद किसानों को राहत देगी. राउत ने कहा, ‘‘यह सरकार अयोध्या को लेकर राजनीति में उलझी हुई है. बुराई का विरोध करने वाले भगवान राम, उनका साथ कभी नहीं देंगे. मैं बस आशा करता हूं कि भगवान उन्हें सदबुद्धि देंगे.’’

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