प्रकृति का संरक्षण, जीवों की रक्षा हमारे सांस्कृतिक संस्कारों का अभिन्न अंग: प्रधानमंत्री

नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि प्रकृति का संरक्षण और जीवों की रक्षा भारतीय आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संस्कारों का अभिन्न अंग है और सामूहिकता व जनभागीदारी की शक्ति से देश आज विभिन्न क्षेत्रों में अनेक उपलब्धियां हासिल कर रहा है.

‘‘वन्यजीव सप्ताह’’ के अवसर पर अपने एक संदेश में मोदी ने कहा कि यह अवसर प्रकृति और जीव-जंतुओं की रक्षा के प्रति लोगों को उनके दायित्वों का स्मरण कराते हुए इस दिशा में ठोस कार्य करने की प्रेरणा देता है. उन्होंने कहा कि वन्यजीवों के लिए पिछले आठ वर्षों में देश में लगभग 250 नए संरक्षित क्षेत्र जोड़े गए हैं और वन क्षेत्रों का विस्तार भी तेजी से हुआ है.

गंगा नदी को भारत की गौरवशाली संस्कृति का साक्षी बताते हुए हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसे निर्मल व अविरल बनाने और इसके जीवों के संरक्षण व पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिति में सुधार के लिए ‘‘नमामि गंगे मिशन’’ के अंतर्गत उल्लेखनीय कार्य किए जा रहे हैं.
मध्य प्रदेश के कुनो में चीतों को बसाने के प्रयास को उन्होंने अतीत की गलतियों को सुधार कर नए भविष्य के निर्माण का मौका बताया और विश्वास जताया कि वन विभाग व आमजन के सहयोग से इस पहल की सफलता सुनिश्चित होगी.

उन्होंने कहा कि देश में बाघों की संख्या को दोगुना करने के लक्ष्य को समय से पहले हासिल कर लिया है, असम में एक सींग वाले गैंडों की संख्या में भी वृद्धि हुई है और भारत में एशियाई शेरों की संख्या में बड़ी बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने कहा कि देश में हाथियों की संख्या भी निरंतर बढ़ रही है.

मोदी ने कहा, ‘‘मानव, पर्यावरण और वन्यजीव एक दूसरे के पूरक हैं. बदलते परिवेश में हमें वन्यजीवों के संरक्षण और जैव विविधता के लिए अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है. सही नीति और बेहतर कार्यान्वयन से अर्थव्यवस्था और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक साथ कार्य संभव है.’’ उन्होंने कहा कि पर्यावरण की रक्षा के साथ ही देश की प्रगति भी हो सकती है और यह भारत ने दुनिया को करके दिखाया है. प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि वन्यजीव सप्ताह के अंतर्गत किए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा लोगों में वन्यजीवों के अधिकारों व अपने कर्तव्य के बारे में जागरूकता का विस्तार होगा.

Related Articles

Back to top button