अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन से ढांचे की कार्बन-डेटिंग से जुड़ी याचिका पर जवाब मांगा

वाराणसी. ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में वाराणसी के जिला जज की अदालत में परिसर में मिले कथित शिवलिंग के कार्बन डेटिंग और वैज्ञानिक परीक्षण को लेकर हिन्दू पक्ष ने अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करते हुए दावा किया कि वजूखाना में पाया गया शिवलिंग वाद का एक हिस्सा है.

जिला शासकीय अधिवक्ता महेंद्र पांडेय ने बताया कि ज्ञानवापी परिसर में मिले ‘शिवलिंग’ के कार्बन डेटिंग और वैज्ञानिक परीक्षण के मामले पर हिंदू पक्ष ने आज कुछ बिंदुओं पर अपना स्पस्टीकरण प्रस्तुत किया. अदालत ने 11 अक्टूबर को अगली सुनवाई पर मुस्लिम पक्ष से हिंदू पक्ष के इस स्पष्टीकरण पर जवाब मांगा है.

हिंदू पक्ष के अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने बताया कि जिला अदालत के समक्ष उन्होंने बताया कि हमने अपने वाद में यह पहले ही कहा है कि ज्ञानवापी परिसर के सभी दृश्य और अदृश्य देवताओं के दर्शन पूजन का अधिकार हिंदुओं को दिया जाय. उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी परिसर के वजुखाने का पानी हटाने के बाद ‘शिवलिंग’ प्रकट हुआ इसलिए यह हमारे वाद का हिस्सा है. जैन ने कहा कि कुछ लोगों ने भ्रम फैला रखा है कि कार्बन डेटिंग से शिवलिंग को नुकसान पहुंच सकता है. इस पर हमने अदालत को बताया कि जहां कार्बन डेटिंग नहीं कराई जा सकती वहां वैज्ञानिक परीक्षण कराया जाय.

अदालत के बाहर पत्रकारों को जानकारी देते हुए हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, ” अदालत ने कहा कि हम चाहते हैं कि आदेश पारित करने से पहले, कुछ प्रश्न हैं, जिन्हें आप हल कर दीजिये, अपना स्पष्टीकरण दे देजिए. पहला यह है कि 16 मई को किये गय सर्वेक्षण कार्य के दौरान जो ‘शिवलिंग’ वहां बरामद हुआ था, वह इस संपत्ति का हिस्सा है या नहीं ? और दूसरा वैज्ञानिक जांच के उद्देश्य से अदालत एक आयोग बना सकती है जिसमें कार्बन डेटिंग और अन्य प्रक्रियाएं अपनाई जा सकती है?’’

उन्होंने कहा कि हमने दो बिंदु रखे. पहला यह था कि हमने ‘प्रत्यक्ष’ और ‘अप्रत्यक्ष’ देवता की पूजा करने के अधिकार की मांग की थी. ‘शिवलिंग’ जो ‘वजÞूखाना’ में था, पानी के नीचे था और यह पानी हटा दिए जाने के बाद ‘अप्रत्यक्ष देवता’ से ‘ प्रत्यक्ष देवता’ बन गया. इसलिए, यह हमारे वाद का एक हिस्सा है.

विष्णु जैन ने आगे कहा, “हमने अदालत को यह भी बताया कि हलफनामे पर मुस्लिम पक्ष ने कहा है कि यह (शिवलिंग जैसी संरचना) एक फव्वारा है, और यह चाहता है कि यह एक फव्वारा है या शिवलिंग, इस पर फैसला किया जाए. और निर्णय का सबसे अच्छा तरीका यह है कि इसकी जांच भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा की जानी चाहिए, जिसके लिए न्यायालय एक आयोग नियुक्त कर सकता है.’’ जैन ने कहा कि मुस्लिम पक्ष चाहता है कि वह इस पर अपना प्रत्युत्तर दे, जिसके लिए अदालत ने 11 अक्टूबर की तारीख तय की है.
उन्होंने कहा कि अदालत सुनवाई के बाद अपना आदेश देगी. फैसला 11 अक्टूबर या 11 अक्टूबर के बाद आ सकता है.

जिला शासकीय अधिवक्ता महेंद्र पांडेय ने बताया कि ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग के कार्बन डेटिंग और वैज्ञानिक परीक्षण के मामले पर हिन्दू पक्ष ने आज कुछ बिंदुओं पर अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया. अदालत ने अगली सुनवाई 11 अक्टूबर को मुस्लिम पक्ष से हिन्दू पक्ष के इस स्पष्टीकरण पर प्रत्युत्तर मांगा है.

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