भाजपा के केंद्रीय नेताओं से मिलने के लिये दिल्ली में डेरा डाले हुए है मणिपुर के असंतुष्ट विधायकों का समूह

इंफाल/नयी दिल्ली. मणिपुर में मुख्यमंत्री एन. बीरेन ंिसह नीत सरकार में असंतोष पनपने की अटकलों को बल मिला है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों का एक समूह पार्टी के केंद्रीय नेताओं से मिलने के लिए दिल्ली आया हुआ है. साथ ही पार्टी की राज्य इकाई के एक प्रमुख नेता ने इस बात पर जोर दिया कि शिकायत करना या किसी विवाद के बारे में पार्टी के उच्च पदाधिकारी को अवगत करना अनुशासनहीनता नहीं है.

हालांकि, भाजपा के एक केंद्रीय नेता ने इस घटनाक्रम को अधिक तवज्जो नहीं देने की कोशिश की और राज्य सरकार में किसी भी बदलाव से इनकार किया. उन्होंने यह उल्लेख भी किया कि विभिन्न हित समूहों के बीच खींचतान मणिपुर की राजनीति की एक विशेषता रही है. उन्होंने कहा कि जनसांख्यिकीय और क्षेत्रीय शिकायतों से जुड़े मुद्दों का इस्तेमाल कुछ लोग राजनीतिक कारणों से भी करते हैं.

पार्टी पदाधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है कि मणिपुर घाटी के कम से कम चार भाजपा विधायक केंद्रीय नेताओं से मिलने के लिए दिल्ली में हैं. साथ ही माना जाता है कि कुकी जनजाति के कुछ पार्टी विधायक भी राष्ट्रीय राजधानी में डेरा डाले हुए हैं. दिल्ली में डेरा डाले हुए मणिपुर घाटी के चार भाजपा विधायकों में से एक उरीपोक विधायक ख्वाइरकपम रघुमणि ने फेसबुक साइट ‘रघुमणी फॉर उरीपोक’ पर एक तस्वीर पोस्ट की, जिसमें विधायक समूह पूर्वोत्तर के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री बी एल वर्मा के साथ बैठक करते दिख रहे हैं.

पोस्ट में कहा गया है, ‘‘उन्होंने (थोकचोम राधेश्याम ंिसह, करम श्याम, पौनम ब्रोजेन और रघुमणि) मणिपुर के सीमा और विकास मुद्दों पर चर्चा की.’’ इस बीच, नये घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, भाजपा के एक अन्य विधायक, आर के इमो ंिसह ने अपने आधिकारिक फेसबुक अकाउंट पर कहा कि ‘‘हम सभी उस राजनीतिक दल की एक विशेष विचारधारा / संविधान से बंधे हैं, जिससे हम संबंधित हैं. विधायकों के रूप में, हमारा कर्तव्य है कि हम उस सरकार/पार्टी के कार्यक्रमों और निर्णय के अनुसार काम करें.

कोई भी सरकार/पार्टी/मंत्री के नेता के खिलाफ शिकायत कर सकता है और मुद्दे को उपयुक्त प्राधिकारी के पास ले जा सकता है, लेकिन उस मुद्दे को मीडिया के सामने नहीं ले जा सकता, क्योंकि इससे शिकायतकर्ता के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है.’’ राष्ट्रीय नेताओं से मिलने के लिए विधायकों के दिल्ली का दौरा ऐसे समय में हुआ है, जब एक दिन पहले लंगथबल निर्वाचन क्षेत्र के भाजपा विधायक करम श्याम ने यह शिकायत करते हुए पर्यटन निगम मणिपुर लिमिटेड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था कि उन्हें “कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है.’’ इससे पहले, 8 अप्रैल को, हिरोक निर्वाचन क्षेत्र के भाजपा विधायक थोकचोम राधेश्याम ने इसी तरह की शिकायत का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री के सलाहकार के पद से इस्तीफा दे दिया था.

माना जा रहा है कि घाटी के विधायकों के अलावा, कुकी जनजाति के कई भाजपा विधायक भी राष्ट्रीय राजधानी में डेरा डाले हुए हैं.
पार्टी के एक अन्य सूत्र ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘दौरा आधिकारिक नहीं है…लेकिन हमारा मानना है कि वे भी अपनी शिकायतें व्यक्त करने के लिए कुछ नेताओं से मिलने गए थे.’’ घाटी के विधायकों का असंतोष को आम तौर पर व्यक्तिगत हताशा से बाहर निकलने के तौर पर समझा जा सकता है, कुकी विधायकों की असहमति अधिक जटिल है, क्योंकि इसमें सरकार की नीतियां शामिल हैं, जिसके बारे में कुकी पर्यवेक्षकों का मानना ??है कि वे उनके समुदाय को लक्षित करती हैं.

कुकी बहुल चूड़ाचंदपुर में सैकोट के कुकी विधायक पाओलियनलाल हाओकिप ने हाल ही में आरक्षित वन क्षेत्रों से कुकी ग्रामीणों को बेदखल करने से संबंधित सरकार की नीतियों पर असंतोष व्यक्त किया था. हाओकिप ने सवाल किया था ‘‘राज्य की बढ़ती आबादी को समायोजित करने के लिए राज्य की एक उचित पुनर्वास नीति के बिना, क्या पहले के आर्द्रभूमि जिन्हें गुप्त रूप से आरक्षित और संरक्षित वन घोषित कर दिया गया है, से बस्तियों को हटाना सही है?’’

उन्होंने कहा कि राज्य को “पहाड़ियों और घाटी दोनों के लिए एक उचित पुनर्वास नीति की आवश्यकता है, न कि अनियमित, मनमौजी और लक्षित बेदखली की. नीति के मामलों पर कैबिनेट और विधानसभा के भीतर चर्चा करने की आवश्यकता है, न कि किसी व्यक्ति की पसंद पर.’’ हाओकिप ने “राज्य के भीतर रहने वाले समुदायों के बीच शांति और सद्भाव लाने के लिए सरकार की भूमिका” पर भी सवाल उठाया और यह जानने की कोशिश की कि क्या पूरे समुदायों को खलनायक बनाया जा रहा है.

कुछ शक्तिशाली कुकी संगठन कुकी राजनीतिक मुद्दे के समाधान की मांग कर रहे हैं, जिनमें पहाड़ी लोगों के लिए अधिक शक्ति और एक अलग प्रशासन शामिल है. कुकी जनजाति का मणिपुर विधानसभा में दस विधायक प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनमें से सात भाजपा के विधायक हैं.

पार्टी के कुछ नेताओं का मानना है कि कुकी की शिकायतें म्यांमा से लोगों के आने की आशंका के बाद मुख्यमंत्री द्वारा शुरू की गई पुनरीक्षण प्रक्रिया से भी उत्पन्न हुई हैं. उन्होंने कहा कि राज्य में जनसांख्यिकी संबंधी ंिचताएं एक राजनीतिक और सामाजिक टकराव का ंिबदु हो सकती हैं और 2016 में वहां सत्ता में आने के बाद भाजपा ने इन मुद्दों और क्षेत्रीय असमानता को दूर करने के लिए बहुत कुछ किया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पहाड़ी निवासियों की शिकायतों को दूर करने के लिए बहुत कुछ किया है, जिनमें बड़ी संख्या में कुकी और नगा जनजातियां शामिल हैं.

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