नयी संरचनाओं में वायुसेना के सैद्धांतिक पहलुओं से समझौता नहीं किया जाना चाहिए : वायुसेना प्रमुख

नयी दिल्ली. वायुसेना प्रमुख एअर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि भारतीय वायुसेना तीनों शाखाओं की ‘थिएटर’ कमान योजना के विरोध में नहीं है, लेकिन प्रस्तावित संरचनाओं में बल के सैद्धांतिक पहलुओं से समझौता नहीं किया जाना चाहिए.

उन्होंने आठ अक्टूबर को वायुसेना दिवस से पहले एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारतीय वायुसेना को तीनों सेवाओं (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) की एकीकरण प्रक्रिया के तहत प्रस्तावित संरचनाओं के कुछ पहलुओं के बारे में आपत्ति है. उन्होंने कहा कि नए ढांचे के तहत निर्णय लेने के चरणों में कमी होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह देखते हुए कि कोई भी एकल सेवा अपने दम पर युद्ध नहीं जीत सकती, वायुसेना ने हाल ही में अपने सिद्धांत को अद्यतन और संशोधित किया है जिससे कि यह प्रासंगिक बना रहे.

जनरल अनिल चौहान के पिछले हफ्ते नए प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) के रूप में कार्यभार संभालने के साथ यह उम्मीद की जाती है कि तीनों सेवाओं की महत्वाकांक्षी थिएटर कमान प्रक्रिया आगे बढ़ेगी. योजना पर एक सवाल का जवाब देते हुए चौधरी ने कहा, ‘‘हम एकीकरण की किसी भी प्रक्रिया और थिएटर कमान की किसी भी प्रक्रिया का विरोध नहीं कर रहे हैं. संरचनाओं के संबंध में हमारी कुछ आपत्तियां हैं.’’ योजना के मुताबिक प्रत्येक थिएटर कमान में सेना, नौसेना और वायुसेना की इकाइयां होंगी और ये सभी एक परिचालन कमांडर के तहत एक निर्दिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों से निपटने वाली एक इकाई के रूप में काम करेंगे.

वर्तमान में थलसेना, नौसेना और वायुसेना के पास अलग-अलग कमान हैं. एअर चीफ मार्शल ने कहा, ‘‘हम एकीकरण प्रक्रिया का पूरी तरह से समर्थन कर रहे हैं, हम केवल कार्यप्रणाली और जिस तरह की संरचनाओं को भविष्य के लिए तैयार करने की आवश्यकता है, उस पर जोर दे रहे हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रत्येक सेवा का एक सिद्धांत होता है. भारतीय वायुसेना के सैद्धांतिक पहलुओं से किसी भी तरह से समझौता नहीं किया जाना चाहिए.’’ शुरू में एक वायु रक्षा कमान और समुद्री थिएटर कमान बनाने के लिए योजना तैयार की गई थी. एक आम धारणा रही है कि भारतीय वायुसेना थिएटर कमान योजना को लेकर बहुत उत्सुक नहीं है.

एअर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि साइबर और अंतरिक्ष सहित भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए नए ढांचे का निर्माण किया जाना चाहिए और निर्णय लेने की प्रक्रिया पर स्पष्टता होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि नए ढांचे के तहत निर्णय लेने के चरणों में कमी होनी चाहिए. वायुसेना प्रमुख ने कहा कि उनके बल को वैश्विक ‘एयरोस्पेस’ शक्ति में बदला जा रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘वायुसेना में स्वतंत्र रणनीतिक संचालन के साथ-साथ सहयोगी सेवाओं और राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र की अन्य शाखाओं के साथ समन्वय में संचालन करने की अनूठी क्षमता है.” एअर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि भारतीय वायुसेना भविष्य के युद्धों में संयुक्त योजना और क्रियान्वयन की अनिवार्यता को समझती है और यह तीनों सेवाओं के प्रयासों को एकीकृत करने की इच्छुक है.

वायुसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘हम मानते हैं कि एकीकरण का जो प्रारूप हम अपनाते हैं वह भविष्य के लिए तैयार होना चाहिए, इसमें निर्णय लेने के स्तरों को कम करना चाहिए, और तीनों सेवाओं की ताकत का अधिकतम उपयोग किया जाना चाहिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें एक ऐसे संगठनात्मक ढांचे की जरूरत है जो भारतीय परिस्थितियों और हमारी भू-राजनीतिक अनिवार्यताओं के लिए सबसे उपयुक्त हो.’’ भारत के प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत थिएटर कमान मॉडल के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी देख रहे थे लेकिन पिछले साल आठ दिसंबर को तमिलनाडु में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में उनकी मौत के बाद यह प्रक्रिया अटक गई थी.

वायुसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘परंपरागत रूप से, युद्ध जमीन, समुद्र और हवा में लड़े जाते हैं. आज साइबर और अंतरिक्ष जैसे नए आयाम पारंपरिक क्षेत्रों में भी संचालन को प्रभावित कर रहे हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इन बदलावों का आत्मसात करने के लिए वायुसेना परिवर्तन की राह पर है जिससे हम कल के युद्ध लड़ व जीत सकें.’’ वायु सेना प्रमुख ने कहा कि उनके बल ने वर्षों से संघर्ष के पूरे विस्तार में अपनी क्षमता साबित की है. उन्होंने कहा, ‘‘हमारा ध्यान स्वदेशी क्षमताओं के निर्माण और अपने पुराने उपकरणों के उन्नयन पर रहा है. हम रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में सरकार के साथ पूरी तरह से तालमेल बिठा रहे हैं.’’

पूर्वी लद्दाख में स्थिति सामान्य होने के लिए यथास्थिति की बहाली जरूरी : वायुसेना प्रमुख

एयर चीफ मार्शल वी. आर. चौधरी ने मंगलवार को कहा कि भारतीय वायु सेना ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीनी हवाई गतिविधियों से निपटने के लिए ‘‘तनाव न बढ़ाने वाले’’ उपयुक्त कदम उठाए हैं. उन्होंने कहा कि क्षेत्र में हालात सामान्य बनें, इसके लिये यह जरूरी है कि गतिरोध से पहले की स्थिति बहाल हो.

वायुसेना प्रमुख ने कहा कि लद्दाख सेक्टर समेत सीमा पर चीनी गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जा रही है और वायुसेना की समग्र तैयारी निरंतर प्रयासों का हिस्सा है तथा इससे फर्क नहीं पड़ता कि उसे चीन की तरफ से कोई चुनौती नजर आती है या नहीं. वह आठ अक्टूबर को वायुसेना दिवस से पहले एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति सामान्य करने के लिए मानक यह होगा कि एलएसी से लगे सभी ंिबदुओं से (सैनिकों की) पूर्ण वापसी हो और यथास्थिति बहाल हो. यही वह स्थिति है जिसकी हम तलाश कर रहे हैं.’’ उनकी टिप्पणी चीनी दूत सुन वेइदॉन्ग द्वारा यह दावा किए जाने के कुछ दिनों बाद आई है कि सीमा पर स्थिति ‘‘समग्र रूप से स्थिर’’ है और दोनों पक्ष जून 2020 में गलवान घाटी की झड़पों के बाद ‘‘आपातकालीन प्रतिक्रिया’’ से आगे बढ़ गए हैं और ‘‘सामान्य’’ प्रबंधन की तरफ अग्रसर हैं.

भारत पूर्वी लद्दाख में गतिरोध से पहले की यथास्थिति बहाल करने पर जोर देता रहा है. पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन की हवाई घुसपैठ और सैन्य गतिविधियों की खबरों के बारे में पूछे जाने पर, एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि इस मुद्दे को चीनी सेना के साथ उठाया गया था और विरोधी की सभी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है.

उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक चीन द्वारा हाल ही में किए गए हवाई उल्लंघन या घुसपैठ या बढ़ी हुई हवाई गतिविधि का संबंध है, हम वहां अपने वायु रक्षा प्रयासों को लगातार बढ़ाकर इसकी सतत निगरानी करते हैं. हमने राडार की मौजूदगी बढ़ा दी है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘उचित व तनाव न बढ़ाने वाले उपाय किए गए हैं. मुझे लगता है कि हम अब तक की गई कार्रवाइयों के साथ अपने इरादे और … अपनी तैयारी की स्थिति का संकेत देने में सक्षम हैं.’’ एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच विश्वास बहाली के उपाय किए जा रहे हैं, लेकिन बताया कि एक हॉटलाइन स्थापित की जानी बाकी है.

वायुसेना प्रमुख ने कहा कि वैश्विक परिदृश्य पर हाल की घटनाओं ने स्पष्ट रूप से संकेत दिया है कि बाहरी खतरों से बचने के लिए एक मजबूत सेना की मौजूदगी अनिवार्य है. उन्होंने कहा, ‘‘सामान्य तौर पर सशस्त्र बल और विशेष रूप से भारतीय वायुसेना, राष्ट्रीय सुरक्षा मैट्रिक्स में एक निवारक के साथ-साथ एक युद्ध-विजेता साधन के रूप में अहम बनी रहेगी.’’ उन्होंने कहा कि भारतीय वायु सेना ‘‘सबसे खराब स्थिति’’ समेत सभी तरह की सुरक्षा चुनौतियों के लिए तैयारी कर रही है और वह किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है.

एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा, ‘‘हम सक्रिय रूप से तैनात रहते हैं, साथ ही साथ राफेल, हल्के लड़ाकू विमान और एस -400 जैसी हाल ही में शामिल प्रणालियों के संचालन में तेजी लाते हैं. आज, जैसा कि मैं कहता हूं, भारतीय वायुसेना हमेशा सतर्क और तैनात रहती है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे राष्ट्रीय हवाई क्षेत्र के किसी भी उल्लंघन या अतिक्रमण को रोकने के लिए हमारे वायु रक्षा तंत्र को वर्ष के 365 दिन चौबीसों घंटे तैनात रखा जाता है. हमारे लड़ाकू विमान हमेशा किसी भी आकस्मिक खतरे का मुकाबला करने के लिए कुछ ही मिनटों में मुकाबला करने के वास्ते तैयार रहते हैं.’’

वायु सेना प्रमुख ने अपने लड़ाकू स्क्वाड्रनों की घटती संख्या और मिराज 2000, जगुआर और मिग 29 को चरणबद्ध तरीके से हटाए जाने पर भी बात की. उन्होंने कहा कि ये सभी विमान अगले दशक के मध्य तक ‘नंबर प्लेटेड’ हो जाएंगे. ‘नंबर प्लेट’ का संदर्भ किसी स्क्वाड्रन को सेवा से हटाए जाने से होता है. इसके साथ ही, भारतीय वायुसेना ने जोर देकर कहा कि वह 42 लड़ाकू स्क्वाड्रनों की स्वीकृत संख्या की समीक्षा नहीं करेगी.

उन्होंने कहा कि 114 मध्यम भूमिका वाले लड़ाकू विमान (एमआरएफए) हासिल करने की प्रक्रिया चल रही है. मार्च में पाकिस्तान में ब्रह्मोस मिसाइल के दुर्घटनावश दागे जाने के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा कि इस तरह की घटना फिर कभी न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए ‘तीनों सेवाओं’ के स्तर पर पर्याप्त चर्चा हुई.

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