पिछले वर्षों में आतंकवाद के कारण 42 हजार लोगों ने जान गंवाई, अब हालात काबू में : अमित शाह

जम्मू. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ वर्षों में आतंकवाद के कारण 42,000 लोगों ने अपनी जान गंवाई लेकिन सुरक्षा स्थिति में अब इस हद तक सुधार हुआ है कि कोई भी हड़ताल का आ’’ान करने या पथराव में शामिल होने की हिम्मत नहीं करता. शाह ने यह भी कहा कि मोदी सरकार आतंकवाद, भ्रष्टाचार को खत्म करके सर्वांगीण विकास के जरिये जम्मू-कश्मीर को देश में पहले नंबर पर लाना चाहती है.

जम्मू में विभिन्न विकास परियोजनाओं के उद्घाटन और शिलान्यास कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि स्थिति पर सुरक्षा बलों का पूर्ण नियंत्रण सुनिश्चित करते हुए आतंकवाद के प्रति ‘कतई बर्दाश्त नहीं’ (जीरो टॉलरेंस) की नीति अपनाई गई है.

उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के कारण 42,000 लोगों की जान चली गई. आतंकवाद का समर्थन करने वाले ऐसे लोगों की पहचान कर कार्रवाई की गई है जो सरकार में बैठे थे.’’ शाह ने कहा कि जो लोग हड़ताल का आ’’ान करते थे या सुरक्षा बलों पर पथराव करते थे, उन पर पूरी तरह से अंकुश लगा दिया गया है और अब किसी में भी इस तरह का आ’’ान करने की हिम्मत नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘‘क्या आप जानते हैं कि कश्मीर में अब पथराव की एक भी घटना क्यों नहीं हो रही है…., क्योंकि उस समय पत्थरबाज सरकार में बैठे थे.’’ शाह ने कहा कि आतंकी घटनाओं में 56 फीसदी जबकि सुरक्षा बलों के हताहत होने की संख्या में 84 फीसदी की कमी आई है. साथ ही आतंकियों की भर्ती में भी कमी आई है. जम्मू कश्मीर के ‘‘पिछड़ेपन’’ के लिए तीन राजनीतिक परिवारों को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि कुशासन के कारण प्रदेश सभी विकास मानकों पर पिछड़ गया.

हालांकि, शाह ने तीन परिवारों की पहचान उजागर नहीं की, लेकिन उनका स्पष्ट संदर्भ अब्दुल्ला परिवार (नेशनल कॉन्फ्रेंस), मुफ्ती परिवार (पीडीपी) और नेहरू-गांधी परिवार (कांग्रेस) के लिए था. शाह ने कहा कि पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों और अनुच्छेद 35-ए को समाप्त किए जाने के बाद से अब तक जम्मू-कश्मीर में बड़े बदलाव हुए हैं. इस बीच, नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) ने मंगलवार को जम्मू कश्मीर में ‘‘परिवार का शासन’’ के बारे में अमित शाह की टिप्पणी पर पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा एक ‘‘झूठी कहानी’’ पेश कर रही है.

पार्टी ने आरोप लगाया कि भाजपा ऐसा करके पूर्ववर्ती राज्य के मतदाताओं का अपमान कर रही है. नेकां के प्रदेश प्रवक्ता इमरान नबी डार ने कहा, ‘‘ जम्मू कश्मीर में तथाकथित पारिवारिक शासन की ंिनदा करने वाली भाजपा की बयानबाजी न केवल गलत है, बल्कि वास्तव में यह उन लाखों लोगों का अपमान है, जिन्होंने पिछले कई दशकों में हुए चुनावों में इन्हें सत्ता में लाने के लिए चुना था.’’

जम्मू कश्मीर में गुर्जर, बकरवाल, पहाड़ी समुदायों को आरक्षण का लाभ मिलेगा
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को घोषणा की कि न्यायमूर्ति शर्मा आयोग की सिफारिशों के अनुसार जम्मू कश्मीर में गुर्जर, बकरवाल और पहाड़ी समुदायों को आरक्षण का लाभ मिलेगा. इस आयोग ने आरक्षण के मुद्दे पर विचार किया था. शाह ने यहां भारत-पाकिस्तान सीमा के पास पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि गुर्जर, बकरवाल और पहाड़ी समुदायों के (अनुसूचित जनजाति) आरक्षण में कोई कमी नहीं आएगी और सभी को उनका हिस्सा मिलेगा.

उन्होंने कहा कि 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त किए जाने से जम्मू कश्मीर में समाज के वंचित तबकों को आरक्षण का लाभ मुहैया कराने का मार्ग प्रशस्त हुआ है. शाह ने कहा, “न्यायमूर्ति शर्मा आयोग ने सिफारिश की है और इसने एसटी आरक्षण के लाभ के लिए पहाड़ी, बकरवाल और गुर्जर को शामिल किया है. ये सिफारिशें मिल गई हैं और कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के तुरंत बाद, गुर्जर, बकरवाल और पहाड़ी समुदायों को आरक्षण का लाभ मिलेगा.”

उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने पहाड़ी लोगों को एसटी का दर्जा दिए जाने के नाम पर गुर्जरों और बकरवालों को उकसाने का प्रयास किया, लेकिन लोगों ने उनके इरादों को नाकाम कर दिया. इस तरह की खबर है कि पहाड़ी समुदाय के सदस्यों को एसटी का दर्जा देने के कदम के खिलाफ शोपियां में गुर्जर और बकरवाल समुदाय के सदस्यों ने प्रदर्शन किया था. सीमावर्ती जिलों राजौरी और पुंछ की कुल आबादी में गुर्जर और बकरवाल 40 प्रतिशत हैं. पहाड़ी भी उसी क्षेत्र में रहते हैं, लेकिन उनकी संख्या कम है.

जम्मू कश्मीर में कश्मीरी और डोगरा समुदायों के बाद गुर्जर और बकरवाल समुदाय तीसरा सबसे बड़ा जातीय समूह है. अप्रैल 1991 से, उन्हें नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में अनुसूचित जाति (एसटी) के तहत 10 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है. पहाड़ी समुदाय के लोग भी आरक्षण की मांग कर रहे हैं, जिसका गुर्जर और बकरवाल विरोध कर रहे हैं.

जनवरी 2020 से, जम्मू-कश्मीर में पहाड़ियÞों को नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में चार प्रतिशत का आरक्षण मिल रहा है.
गुर्जरों और बकरवालों ने भी इसका विरोध करते हुए कहा है कि उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) जैसी अन्य श्रेणियों के तहत लाभ मिले.

गृह मंत्री ने जम्मू कश्मीर में विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि पहले सिर्फ तीन राजनीतिक परिवार तत्कालीन राज्य पर शासन करते थे, लेकिन अब सत्ता उन 30,000 लोगों के पास है, जो निष्पक्ष चुनाव के जरिए पंचायतों और जिला परिषदों के लिए चुने गए हैं.
विधानसभा चुनाव की संभावना का संकेत देते हुए उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने से पहले परिसीमन की कवायद की गई.

उन्होंने कहा, ‘‘ चुनाव से पहले परिसीमन जरूरी था, क्योंकि पहले परिसीमन मानदंडों के अनुसार नहीं था. अब, परिसीमन मानदंडों के मुताबिक किया गया है और राजौरी, पुंछ, डोडा, किश्तवाड़ जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में सीटों की संख्या में वृद्धि हुई है.’’ शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद प्रदेश में चुनाव कराने का वादा किया था.

पहले सत्ता तीन परिवारों, 87 विधायकों, छह सांसदों के पास थी. उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 35-ए और 370 के निरस्त होने से जम्मू-कश्मीर में पहाड़ियों सहित सभी कमजोर वर्गों को उनका अधिकार मिल रहा है या मिलने वाला है. गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में आदिवासी समुदाय को आरक्षण अनुच्छेद 35-ए और 370 को खत्म करने के बाद ही संभव हुआ है. उन्होंने आरोप लगाया कि जिन लोगों ने 70 साल तक जम्मू-कश्मीर पर शासन किया, वे पहाड़ियों को दबाकर रखना चाहते थे, लेकिन जम्मू-कश्मीर में पहाड़ियों को अब उनका हक मिलने की बारी है.

शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर का विकास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता है. उन्होंने कहा, ‘‘पहले, केंद्र द्वारा जम्मू कश्मीर के विकास के लिए भेजे जाने वाला सारा पैसा कुछ लोग हड़प लेते थे, लेकिन अब एक-एक पाई लोगों के कल्याण पर खर्च की जाती है.’’ उन्होंने कहा, “मैं आप लोगों से जम्मू कश्मीर को इन तीन परिवारों के चंगुल से आजाद कराने और जम्मू कश्मीर की बेहतरी एवं कल्याण के लिए मोदी के हाथों को मजबूत बनाने की अपील करना चाहता हूं.”

उन्होंने हालांकि तीन परिवारों का नाम नहीं लिया. शाह ने कहा कि आतंकवादियों के खिलाफ मोदी सरकार द्वारा की गई सख्त कार्रवाई के कारण जम्मू कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति पहले से कहीं बेहतर हुई है. उन्होंने कहा कि इस साल जान गंवाने वाले सुरक्षार्किमयों की संख्या प्रति वर्ष 1,200 से कम होकर 136 रह गयी. शाह ने कहा कि कांग्रेस के शासन के दौरान 2006-2013 में जम्मू-कश्मीर में 4,766 आतंकी घटनाएं हुई थीं, लेकिन 2019-22 में यह संख्या घटकर 721 रह गई है.

उन्होंने कहा, “आज की रैली उन लोगों को करारा जवाब है, जो कहते थे कि अगर अनुच्छेद 370 को खत्म किया गया तो खून-खराबा होगा.” गृह मंत्री ने कहा कि मोदी ने कश्मीर में पथराव करने वालों के हाथों से पत्थर छीन लिए और उन्हें लैपटॉप और नौकरी दी और इस वजह से पथराव खत्म हो गया. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने आतंकवाद, पथराव करने वालों और हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के खिलाफ कड़ा अभियान शुरू किया है. गृह मंत्री ने कहा कि नवरात्रि के आखिरी दिन उन्होंने माता वैष्णो देवी मंदिर में दर्शन किए और जम्मू-कश्मीर में शांति के लिए प्रार्थना की.

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