भारतीय विदेश नीति का कमजोर होना दुर्भाग्यपूर्ण: गौरव गोगोई

गुवाहाटी. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गौरव गोगोई ने मंगलवार को कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश की विदेश नीति इस हद तक ‘कमजोर’ हो गई है कि भारत की मदद से स्वतंत्रता हासिल करने वाला बांग्लादेश भी उसके (भारत के) खिलाफ हो गया है. लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गोगोई बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के उस बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिसमें उन्होंने अपने देश को इस क्षेत्र में ‘महासागर का एकमात्र संरक्षक’ बताया था. यूनुस ने चीन से बांग्लादेश में अपना आर्थिक प्रभाव बढ.ाने का आग्रह किया, जिसमें उन्होंने उल्लेख किया कि भारत के पूर्वोत्तर राज्यों का भूमि से घिरा होना एक अवसर साबित हो सकता है.
असम के जोरहाट से सांसद गोगोई ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ”यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत की विदेश नीति इस हद तक कमजोर हो गई है कि जिस देश की आजादी का भारत ने सक्रिय रूप से समर्थन किया था, वह भी अब रणनीतिक विरोध की ओर झुक रहा है.” उन्होंने कहा, ”प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में बांग्लादेश के राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर दोनों देशों के बीच ‘मजबूत संबंधों’ पर प्रकाश डालते हुए पत्र लिखा था. उसके बाद पूर्वोत्तर भारत और चीन के बारे में मुहम्मद यूनुस की हालिया टिप्पणियां बेहद चिंताजनक और अस्वीकार्य हैं, क्योंकि वे भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को कमजोर करती हैं.” यूनुस ने यह टिप्पणी हाल ही में चीन की अपनी चार दिवसीय यात्रा के दौरान की थी. इसका एक वीडियो सोमवार को सोशल मीडिया पर सामने आया.
उन्होंने कहा, ”भारत के सात राज्य (भारत का पूर्वी भाग) ‘सेवन सिस्टर्स’ कहलाते हैं. वे भारत के चारों ओर से भूमि से घिरे हुए क्षेत्र हैं. उनके पास समुद्र तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है.” पूर्वोत्तर के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के नेताओं ने इस बयान की निंदा करते हुए इसे ‘आक्रामक और भड़काऊ’ बताया. असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने ‘चिकन नेक’ से इतर पूर्वोत्तर को शेष भारत से जोड़ने वाले वैकल्पिक मार्गों की खोज को प्राथमिकता देने का आह्वान किया.
उन्होंने कहा, ”बांग्लादेश की तथाकथित अंतरिम सरकार के मोहम्मद यूनुस द्वारा दिया गया बयान, जिसमें उन्होंने पूर्वोत्तर भारत के सात राज्यों को भूमि से घिरा हुआ बताते हुए बांग्लादेश को उनके समुद्री पहुंच के संरक्षक के रूप में पेश किया है, अपमानजनक और कड़ी निंदा के योग्य है.” उन्होंने कहा कि मोहम्मद यूनुस के ऐसे भड़काऊ बयानों को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए, क्योंकि वे गहन रणनीतिक विचारों और दीर्घकालिक एजेंडे को दर्शाते हैं.