‘‘उपराज्यपाल कोई हमारे प्रधानाध्यापक नहीं हैं जो हमारा ‘होमवर्क’ जांचेंगे’’ : अरविंद केजरीवाल

नयी दिल्ली. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि ‘‘उपराज्यपाल कोई हमारे प्रधानाध्यापक नहीं हैं जो हमारा ‘होमवर्क’ जांचेंगे तथा उन्हें हमारे प्रस्तावों के लिए केवल हां या ना कहना है.’’ उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार के काम जानबूझकर राजनीतिक कारणों से बाधित किए जा रहे हैं.

मुख्यमंत्री केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी (आप) के विधायकों ने दिल्ली सरकार के कामकाज में कथित हस्तक्षेप और शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड भेजने पर उपराज्यपाल की आपत्तियों के विरोध में सोमवार को उपराज्यपाल कार्यालय तक मार्च निकाला.

हालांकि उपराज्यपाल कार्यालय ने कहा कि उसने प्रस्ताव को खारिज नहीं किया है बल्कि सलाह दी है कि सरकार को इस बारे में समग्र रूप से मूल्यांकन करे. दिल्ली विधानसभा की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित किए जाने के बाद मार्च शुरू हुआ. कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच केजरीवाल और विधायकों ने विधानसभा से दो किलोमीटर की पैदल यात्रा शुरू की, लेकिन पुलिस ने उपराज्यपाल के आवास से कुछ मीटर की दूरी पर उन्हें रोक दिया. आप विधायक उपराज्यपाल वी के सक्सेना से मिलने की अपनी मांग पर अड़े रहे.

उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि केजरीवाल को एक संदेश भेजा गया था कि सक्सेना उनसे और उपमुख्यमंत्री से मिलने के लिए तैयार हैं. मुख्यमंत्री ने यह भी पुष्टि की कि उन्हें एक संदेश मिला है कि उपराज्यपाल उनसे और उपमुख्यमंत्री से मिलने के लिए तैयार हैं. हालांकि, केजरीवाल ने जोर देकर कहा कि उनके विधायकों को भी बैठक में शामिल होने की अनुमति दी जाए.

पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद केजरीवाल और विधायक विधानसभा लौट गए. उन्होंने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और विधायक उपराज्यपाल से मिलने के लिए सड़क पर इंतजार कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने हमसे मिलने से इनकार कर दिया.’’ मार्च के दौरान आप विधायकों ने शिक्षकों को फिनलैंड भेजने के सरकार के प्रस्ताव पर कथित तौर पर आपत्ति जताने को लेकर उपराज्यपाल के खिलाफ नारेबाजी की. विधायकों के हाथ में तख्तियां थीं, जिन पर सक्सेना से शिक्षकों को फिनलैंड भेजने की अनुमति देने का आग्रह करते हुए नारे लिखे थे.

मार्च शुरू होने से पहले केजरीवाल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप विधायकों को उपराज्यपाल कार्यालय तक मार्च करना पड़ रहा है. मुझे उम्मीद है कि उपराज्यपाल अपनी गलती पर गौर करेंगे और शिक्षकों को फिनलैंड में प्रशिक्षण की अनुमति देंगे.’’ उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उपराज्यपाल वीके सक्सेना स्वतंत्र निर्णय नहीं ले सकते, लेकिन वह ऐसा कर रहे हैं.

केजरीवाल ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार के काम जानबूझकर राजनीतिक कारणों से बाधित किए जा रहे हैं और कहा कि ‘‘उपराज्यपाल कोई हमारे प्रधानाध्यापक नहीं हैं जो हमारा ‘होमवर्क’ जांचेंगे. उन्हें हमारे प्रस्तावों के लिए केवल हां या ना कहना है’’.
मुख्यमंत्री ने पूछा कि अगर निर्वाचित सरकार के पास फैसले लेने का अधिकार नहीं होगा तो वह कैसे काम करेगी.

केजरीवाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि वे उपराज्यपाल से इस मुद्दे पर मुलाकात करने के लिए कह रहे थे कि ‘‘वह हमारे शिक्षकों को फिनलैंड जाने से क्यों रोक रहे हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘फिनलैंड में सबसे अच्छी शिक्षा प्रणाली है… हम यहीं इंतजार करेंगे और अपने बच्चों के भविष्य के लिए लड़ेंगे.’’ उपराज्यपाल सक्सेना द्वारा ‘‘अवैध और अवांछित बाधाओं और हस्तक्षेप’’ के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों और सत्तारूढ़ आप के सदस्यों के बीच जुबानी जंग छिड़ जाने के बाद विधानसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई.

दिल्ली सरकार के शिक्षकों को एक प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए फिनलैंड भेजने पर उपराज्यपाल की ‘‘आपत्तियों’’ का आप विधायकों ने विरोध किया है. सक्सेना के कार्यालय ने कहा कि प्रस्ताव को खारिज नहीं किया गया है, लेकिन सरकार को सलाह दी गई है कि वह समग्र रूप से इसका मूल्यांकन करे और छात्रों को प्रदान की जा रही शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रभाव के संदर्भ में लागत लाभ विश्लेषण को दर्ज करे.

उपराज्यपाल कार्यालय ने कहा कि उपराज्यपाल ने सरकार को देश के भीतर उत्कृष्ट संस्थानों में समान प्रशिक्षण कार्यक्रमों की जांच और पहचान करने की भी सलाह दी है ताकि संसाधनों का अधिकतम उपयोग, विवेकपूर्ण तरीके से राजस्व का उपयोग और प्रशासनिक प्रभावशीलता सुनिश्चित की जा सके.

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