उपराज्यपाल शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड भेजने से रोक रहे है: आप

नयी दिल्ली. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरंिवद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने सरकारी शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड भेजने का प्रस्ताव लौटा दिया है और सरकार से पहले कार्यक्रम का लागत-लाभ विश्लेषण करने को कहा है.

हालांकि, राजनिवास ने कहा है कि उपराज्यपाल (एलजी) ने फिनलैंड में प्राथमिक प्रभारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रस्ताव को खारिज नहीं किया है और इस बाबत कोई भी बयान भ्रामक और शरारतपूर्ण है. कालकाजी से विधायक आतिशी के नेतृत्व में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) के सदस्यों ने इस मुद्दे को लेकर उपराज्यपाल के आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन भी किया.

केजरीवाल ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि एलजी ने दिल्ली सरकार के शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड भेजने के (प्रस्ताव वाली) फाइल दो बार फाइल लौटाई है और पूछा है कि क्या कार्यक्रम का लागत-लाभ विश्लेषण किया गया है.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ मैंने उनसे कहा कि एक सैनिक देश के लिए अपनी जान न्योछावर कर देता है, लेकिन उसे 50-60 हजार रुपये वेतन ही मिलता है. क्या हमने कभी किसी सैनिक के जीवन का लागत-लाभ विश्लेषण किया है? हम यहां अपने बच्चों का भविष्य संवार रहे हैं. हम एक राष्ट्र का निर्माण कर रहे हैं.’’

उन्होंने कहा, “मैं अपना पूरा वेतन अपने बच्चों पर खर्च करता हूं. आप कुछ चीजों का लागत-लाभ विश्लेषण नहीं कर सकते.” केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के लोगों ने ‘आप’ सरकार को चुना है, जो पैसे बचाकर शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए विदेश भेज रही है. इसमें किसी को आपत्ति कैसे हो सकती है? मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ राजनीतिक नेता और अधिकारी अक्सर विदेश जाते हैं, लेकिन पिछले 75 वर्षों में शिक्षकों और प्रधानाचार्यों को किसी ने विदेश नहीं भेजा. ऐसा करने वाली दिल्ली सरकार देश की पहली सरकार है.’’ सिसोदिया ने दिन में पहले की गई प्रेस वार्ता में कहा कि अब तक करीब 1,100 शिक्षकों ने ंिसगापुर, ब्रिटेन और फिनलैंड समेत अन्य देशों में प्रशिक्षण लिया है.

सिसोदिया ने आरोप लगाया कि अब भाजपा के लोगों की सेवा विभाग पर ‘‘अनधिकृत पकड़’’ है, तो वे दिल्ली में ‘आप’ सरकार को, शिक्षकों को उत्कृष्ट प्रशिक्षण देने से रोकने के लिए, ‘‘गंदी राजनीति कर रहे हैं.’’ ‘आप’ नेता ने आरोप लगाया कि एलजी ने दिसंबर में फिनलैंड में शिक्षकों के एक बैच को भेजने के प्रस्ताव को वापस कर दिया तथा प्रशिक्षण देने वाली संस्था की साख पर सवाल उठाया और पूछा क्या दिशानिर्देशों का पालन किया जा रहा था.

सिसोदिया ने दावा किया, “जब हमने उनके सवालों का जवाब दे दिया, तो उन्होंने लागत-लाभ विश्लेषण के बारे में कहा और पूछा कि क्या इस तरह का कार्यक्रम भारत में किया जा सकता है.” उन्होंने कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री और भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री विश्व आर्थिक मंच जाएंगे. क्या लागत-लाभ विश्लेषण के बहाने इसे भी रोका जाएगा?”

सिसोदिया ने दावा किया, ‘‘ क्या 99.6 प्रतिशत बोर्ड परिणाम और दिल्ली सरकार के स्कूलों के सैकड़ों बच्चों का आईआईटी-मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश यह साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है कि यह प्रशिक्षण फायदेमंद है?” उन्होंने कहा कि अगर एलजी बच्चों के भविष्य की परवाह करते हैं और उनकी शिक्षा में बाधा पहुंचाना नहीं चाहते, तो उन्हें ‘‘भाजपा के षड्यंत्र में उनका साथ नहीं देना चाहिए.’’ उपमुख्यमंत्री ने दावा किया, ‘‘हम 30 शिक्षकों के एक बैच को प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड भेजना चाहते थे. उपराज्यपाल ने किसी न किसी बहाने से इसमें देरी की.’’ उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा स्कूली शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड भेजने के दिल्ली सरकार के प्रयासों को रोकने के लिए ‘‘अपनी पूरी ताकत का इस्तेमाल’’ करने की कोशिश कर रही है.

सिसोदिया ने पत्रकारों से कहा, ‘‘हमने शिक्षकों को फिनलैंड भेजा, क्योंकि यह शिक्षा में सुधार लाने वाले सर्वश्रेष्ठ स्थानों में से एक है. हम अपने शिक्षकों को ऐसे अंतरराष्ट्रीय मानकों से अवगत कराना चाहते हैं, क्योंकि शिक्षा का स्तर ऊंचा करने में शिक्षकों का योगदान होता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा यह नहीं जानती, क्योंकि उनका शिक्षा से कुछ लेना-देना नहीं है.’’ सिसोदिया ने कहा कि शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड भेजने से संबंधित फाइल फिर से एलजी के पास भेजी जाएगी.

राजनिवास ने कई ट्वीट कर के कहा कि एलजी ने केवल दिल्ली सरकार को प्रस्ताव का समग्रता से मूल्यांकन करने और अतीत में किए गए ऐसे विदेशी प्रशिक्षण कार्यक्रमों की प्रभावशीलता का आकलन करने की सलाह दी है. सक्सेना ने सरकार को भारतीय संस्थानों में इसी तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रमों की पहचान करने की सलाह दी है. राजनिवास ने कहा, ‘‘एलजी ने देश के भीतर उत्कृष्ट संस्थानों में समान प्रशिक्षण कार्यक्रमों की जांच और पहचान करने की भी सलाह दी है, ताकि संसाधनों का इष्टतम उपयोग, राजकोषीय विवेक और प्रशासनिक प्रभावशीलता सुनिश्चित की जा सके.’’

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