अंगदान ईश्वर का स्वरूप, ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग इसके लिए सामने आएं: मोदी

नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अंगदान को ईश्वर का स्वरूप करार देते हुए कहा कि आज देश में इस बारे में जागरूकता बढ़ रही है और पिछले 10 सालों में अंगदान करने वालों की संख्या में तीन गुनी वृद्धि हुई है. आकाशवाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘‘मन की बात’’ की 99वीं कड़ी में अपने विचार साझा करते हुए मोदी ने देशवासियों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में अगदान के लिए सामने आने की अपील की.

प्रधानमंत्री ने अंगदान करने वाली चंडीगढ़ की एक बिटिया अबाबत के माता-पिता सुखबीर ंिसह संधू और सुप्रीत कौर तथा झारखंड के सराइकेला की स्रेहलता के पुत्र अभिजीत चौधरी से अंगदान के उनके अनुभवों के बारे में चर्चा की. अबाबत की कहानी सुनाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वह सिर्फ 39 दिन की थी तभी वो यह दुनिया छोड़कर चली गई लेकिन उसके माता-पिता ने बेटी के अंगदान का फैसला लिया.

संधु और कौर के इस फैसले की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने उनसे कहा, ‘‘आपकी बेटी मानवता की अमर-गाथा की अमर यात्री बन गई है. अपने शरीर के अंश के जरिए वो आज भी उपस्थित है.’’ उन्होंने कहा कि अंगदान के लिए सबसे बड़ा जज्बा यही होता है कि जाते-जाते भी किसी का भला हो जाए और किसी का जीवन बच जाए.

उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग अंगदान का इंतजार करते हैं, वह जानते हैं कि इंतजार का एक-एक पल गुजरना, कितना मुश्किल होता है. और ऐसे में जब कोई अंगदान या देहदान करने वाला मिल जाता है, तो उसमें ईश्वर का स्वरूप ही नजर आता है.’’ इसी क्रम में प्रधानमंत्री ने 63 वर्ष की उम्र में अपना हृदय, किडनी और यकृत दान करने वाली स्रेहलता चौधरी के पुत्र से चर्चा की, जिन्होंने बताया कि मृत्यु के बाद भी उनकी मां चार लोगों की जान बचा गई और दो लोगों की आंखों को रोशनी दे गई.

मोदी ने कहा कि 39 दिन की अबाबत कौर हो या 63 वर्ष की स्रेहलता चौधरी, इनके जैसे दानवीर जीवन का महत्व समझाकर जाते हैं.
उन्होंने कहा कि देश में आज बड़ी संख्या में ऐसे जरूरतमंद हैं, जो स्वस्थ जीवन की आशा में किसी अंगदान करने वाले का इंतज़ार कर रहे हैं. उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि अंगदान को आसान बनाने और प्रोत्साहित करने के लिए पूरे देश में एक जैसी नीति पर काम हो रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘इस दिशा में राज्यों के अधिवास (डामिसाइल) स्थापित करने की शर्त को हटाने का निर्णय भी लिया गया है. यानी, अब देश के किसी भी राज्य में जाकर मरीज अंग प्राप्त करने के लिए पंजीकरण करवा पाएगा.’’ उन्होंने कहा कि सरकार ने अंगदान के लिए 65 वर्ष से कम आयु की आयु-सीमा को भी खत्म करने का फैसला लिया है. उन्होंने देशवासियों से अपील की कि वे ज्यादा से ज्यादा संख्या में अंगदान के लिए आगे आएं.

उन्होंने कहा, ‘‘आपका एक फैसला, कई लोगों की ंिजदगी बचा सकता है, ंिजदगी बना सकता है.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के इस दौर में अंगदान किसी को जीवन देने का एक बहुत बड़ा माध्यम बन चुका है क्योंकि जब एक व्यक्ति मृत्यु के बाद अपना शरीर दान करता है तो उससे 8 से 9 लोगों को एक नया जीवन मिलने की संभावना बनती है.

एशिया की पहली महिला लोको पायलट सुरेखा यादव, आॅस्कर जीतने वाली लघु वृत्तचित्र ‘‘द एलिफेंट व्हिस्पर्स’’ वाली प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा और निर्देशक कार्तिकी गोंजाल्विस, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र की वैज्ञानिक ज्योतिर्मयी मोहंती, भारत की अंडर-19 महिला क्रिकेट टीम की टी-20 विश्व कप में जीत, नगालैंड में 75 वर्षों में पहली बार दो महिलाओं के विधायक और उनमें से एक के मंत्री बनने की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसी सभी महिलाएं भारत और भारत के सपनों को ऊर्जा दे रही हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘नारीशक्ति की ये ऊर्जा ही विकसित भारत की प्राणवायु है.’’ ‘‘मन की बात’’ की इस कड़ी में प्रधानमंत्री ने स्वच्छ व अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की सफलता की भी चर्चा की और कहा कि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में देश आज जिस तेजी से आगे बढ़ रहा है, वह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है.

उन्होंने सौर ऊर्जा के उपयोग से बिजली की बचत करने की दिशा में काम कर रहे पुणे के एक आवासीय सोसाइटी और दमन दीव के दीव जिले के लोगों का उल्लेख किया और कहा कि ऐसे प्रयास देश भर में कई और जगहों पर भी हो रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘दीव जिले की सौर परियोजना से बिजली खरीद पर खर्च होने वाले करीब 52 करोड़ रूपये भी बचे हैं. इससे पर्यावरण की भी बड़ी रक्षा हुई है. इनसे पता चलता है कि पर्यावरण और प्रकृति को लेकर हम भारतीय कितने संवेदनशील हैं और हमारा देश किस तरह भविष्य की पीढ़ी के लिए बहुत जागृत है.’’

वाराणसी और तमिलनाडु के लोगों के बीच प्राचीन संबंधों के हालिया उत्सव को ‘काशी-तमिल संगमम’ के माध्यम से पवित्र शहर में आयोजित किए जाने का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि ‘सौराष्ट्र-तमिल संगमम’ 17-30 अप्रैल के दौरान गुजरात के विभिन्न हिस्सों में आयोजित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना से प्रेरित होते हैं.

मुगलों को हराने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले असमिया जनरल लचित बोरफुकन की 400वीं जयंती के आधिकारिक जश्न के बीच मोदी ने कहा कि लोगों को यह जानकर आश्चर्य होगा कि करीब 45 लाख लोगों ने एक अभियान के तहत उनके जीवन पर निबंध भेजे जो 23 भाषाओं में लिखे गए. उन्होंने कहा, ‘‘आपको यह जानकर भी खुशी होगी कि अब यह गिनीज रिकॉर्ड बन गया है.’’ मोदी ने अपने संबोधन में न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी कश्मीर के कमल ककड़ी की बढ़ती मांग और लैवेंडर (एक सुगंधित वृक्ष) उगाने के बाद जम्मू कश्मीर के भदरवाह में किसानों की आय में वृद्धि का भी उल्लेख किया.

उन्होंने कहा, ‘‘कुछ दिन पूर्व ही कुपवाड़ा में मां शारदा के भव्य मंदिर का लोकार्पण हुआ है. ये मंदिर उसी मार्ग पर बना है, जहां से कभी शारदा पीठ के दर्शनों के लिये जाया करते थे. स्थानीय लोगों ने इस मंदिर के निर्माण में बहुत मदद की है. मैं, जम्मू-कश्मीर के लोगों को इस शुभ कार्य के लिये बहुत-बहुत बधाई देता हूं.’’ मोदी ने लोगों से अगले महीने होने वाले इस कार्यक्रम की 100वीं कड़ी के लिए अपने विचार साझा करने को भी कहा.

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