‘‘भारी मन’’ से अफगानिस्तान छोड़ने का निर्णय लेने के लिए तैयार हैं: संरा

संयुक्त राष्ट्र. संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि यदि वह अफगानिस्तान के तालिबान प्रशासन को स्थानीय महिलाओं को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के लिए काम करने देने पर राजी नहीं कर सका तो वह ‘‘भारी मन’’ से मई में देश छोड़ने का निर्णय करने को तैयार है. यह बात संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) प्रमुख ने कही.

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के प्रशासक ए. स्टेनर ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी इस उम्मीद में इस्लामी सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं कि वह स्थानीय महिलाओं को संगठन के लिए काम करने देने के लिए इस महीने जारी एक अध्यादेश में अपवाद को शामिल करेगी.

स्टेनर ने कहा, ‘‘यह कहना उचित है कि अभी हम जहां हैं, वहां संपूर्ण संयुक्त राष्ट्र प्रणाली को एक कदम पीछे हटाना पड़ रहा है और वहां काम करने की अपनी क्षमता का पुनर्मूल्यांकन करना पड़ रहा है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन यह मौलिक सिद्धांतों और मानवाधिकारों पर बातचीत करने के बारे में नहीं है.’’ स्टेनर ने कहा कि तालिबान ने अफगान महिलाओं को कुछ काम करने की अनुमति दी है और मंगलवार को जारी संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश को और कामकाजी महिलाओं की सख्त जरूरत है, क्योंकि इसकी अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान के सत्ता में आने के बाद आर्थिक सुधार के कुछ बहुत मामूली संकेत मिले थे.

इसमें कहा गया है, ‘‘निर्यात में कुछ बढ़ोत्तरी हुयी है. विनिमय दरों में कुछ स्थिरता है और मुद्रास्फीति कम है. लेकिन सकल घरेलू उत्पाद, अफगानिस्तान की सीमा के अंदर उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का योग, जनसंख्या वृद्धि से पिछड़ने की आशंका है. इसका मतलब यह हुआ कि प्रति व्यक्ति आय 2022 के 359 डॉलर से कम होकर 2024 में 345 डॉलर हो जायेगी.’’ उल्लेखनीय है कि तालिबान ने महिलाओं को कुछ विशेष परिस्थितियों में स्वास्थ्य, शिक्षा और कुछ छोटे व्यवसाय में काम करने की अनुमति दी है.

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