आरएसएस मार्च : न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार की याचिका खारिज की

नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को तमिलनाडु के विभिन्न इलाकों में कुछ शर्तों के साथ मार्च निकालने की मंगलवार को अनुमति दे दी तथा इस मामले में राज्य सरकार की तीन अपील खारिज कर दीं. न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यन और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने इस बारे में मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि सभी याचिकाएं खारिज की जाती हैं.

उच्चतम न्यायालय ने मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर 27 मार्च को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. शीर्ष अदालत ने उल्लेख किया कि आरएसएस के सदस्य अपराधी नहीं हैं, बल्कि राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों में उद्धृत कई मामलों में ये खुद पीड़ित थे. न्यायालय ने कहा कि पॉपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध के परिणामस्वरूप कानून और व्यवस्था की स्थिति के मद्देनजर मार्च केवल कुछ क्षेत्रों में आयोजित किया जाए.

शीर्ष अदालत की पीठ ने मंगलवार को कहा, “हम इस आदेश में राज्य सरकार की ओर से प्रदान किए गए चार्ट को उसकी संवेदनशीलता के कारण जारी करना नहीं चाहते हैं, लेकिन राज्य सरकार द्वारा प्रदान किए गए चार्ट से पता चलता है कि प्रतिवादी संगठन (आरएसएस) के सदस्य उन कई मामलों में पीड़ित थे और वे अपराधी नहीं थे.’’

न्यायालय ने कहा, ‘‘इसलिए, मुख्य रिट याचिकाओं या पुनरीक्षण अर्जियों में किसी न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश में गलती निकालना हमारे लिए संभव नहीं है. इसलिए सभी विशेष अनुमति याचिकाएं खारिज करने योग्य हैं. तमिलनाडु सरकार ने तीन मार्च को उच्चतम न्यायालय में कहा था कि वह पांच मार्च को राज्य भर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रस्तावित ‘रूट मार्च’ और जनसभाओं की अनुमति देने के पूरी तरह खिलाफ नहीं है, हालांकि राज्य सरकार ने खुफिया रपटों का हवाला देते हुए यह भी कहा कि यह कार्यक्रम प्रदेश के हर गली, नुक्कड़ में आयोजित करने नहीं दिया जा सकता.

मद्रास उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को तमिलनाडु में फिर से निर्धारित तिथि पर अपना मार्च निकालने की 10 फरवरी को अनुमति देते हुए कहा था कि विरोध प्रदर्शन मजबूत लोकतंत्र के लिए जरूरी है. एकल न्यायाधीश के चार नवंबर, 2022 को पारित आदेश को निरस्त करते हुए मद्रास उच्च न्यायालय ने 10 फरवरी को दी गई अपनी व्यवस्था में 22 सितंबर, 2022 के आदेश को बहाल किया जिसमें तमिलनाडु पुलिस को जुलूस आयोजित करने और एक जनसभा आयोजित करने की अनुमति से संबंधित आरएसएस के अनुरोध पर विचार करने का निर्देश दिया था. हालांकि एकल न्यायाधीश के आदेश में प्रस्तावित राज्यव्यापी रूट मार्च पर शर्तें लगाई गई थीं और इसे बंद जगह में आयोजित करने को कहा गया था.

इसके बाद अदालत ने अपीलकर्ताओं को रूट मार्च/शांतिपूर्ण जुलूस आयोजित करने के उद्देश्य से तीन अलग-अलग तिथियों के साथ राज्य के अधिकारियों से संपर्क करने को कहा तथा राज्य के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे इन तीन तिथियों में से एक चयनित तिथि पर उन्हें रूट मार्च/शांतिपूर्ण जुलूस आयोजित करने की अनुमति दें.

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