नए संसद भवन का प्रस्ताव नरसिंह राव के समय आया था, अच्छी बात है कि अब यह काम पूरा हुआ: आजाद

जम्मू. पूर्व केंद्रीय मंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के प्रमुख गुलाम नबी आजाद ने बुधवार को कहा कि नए संसद के निर्माण का प्रस्ताव सबसे पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिंह राव के समय में सामने आया था, लेकिन यह ठंडे बस्ते में चला गया. उन्होंने अब इसका निर्माण होने को अच्छी घटना बताया.

विपक्षी दलों द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किए जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ” मैं इस पर कुछ नहीं कहूंगा. संसद में बैठे लोगों को यह तय करना है कि वो भाग लेंगे या बहिष्कार करेंगे.” आजाद ने कहा, ”1991-92 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंह राव के समय सबसे पहले नए संसद भवन के निर्माण का विचार आया था. उस वक्त शिवराज पाटिल लोकसभा अध्यक्ष और मैं संसदीय कार्य मंत्री था.” उन्होंने कहा कि अच्छी बात है कि यह काम अब पूरा हुआ है.

विपक्ष के 19 दलों ने बुधवार को ऐलान किया कि वे संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह का सामूहिक रूप से बहिष्कार करेंगे क्योंकि इस सरकार के कार्यकाल में संसद से लोकतंत्र की आत्मा को निकाल दिया गया है और समारोह से राष्ट्रपति को दूर रखकर ‘अशोभनीय कृत्य’ किया गया है.

उन्होंने एक संयुक्त बयान में यह आरोप भी लगाया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को उद्घाटन समारोह से दूर रखना और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संसद के नए भवन का उद्घाटन करने का फैसला लोकतंत्र पर सीधा हमला है. उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 28 मई को संसद के नए भवन का उद्घाटन करेंगे.

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