ट्रस ने खुली बगावत के बीच केवल 45 दिन बाद प्रधानमंत्री पद से दिया इस्तीफा

लिज ट्रस : ब्रिटेन की तीसरी महिला प्रधानमंत्री को भारत के साथ व्यापार समझौते से पहले पद छोड़ना पड़ा

लंदन. ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने कंजरवेटिव पार्टी में अपने नेतृत्व के खिलाफ खुली बगावत के बाद बृहस्पतिवार को पार्टी नेता के पद से इस्तीफे की घोषणा की. ट्रस ने कहा कि वह पिछले महीने उन्हें मिले जनादेश का पालन नहीं कर पा रहीं और इस तरह केवल 45 दिन में लंदन स्थित 10 डांिनग स्ट्रीट में उनका कार्यकाल समाप्त हो गया.

निवर्तमान प्रधानमंत्री ट्रस (47) टोरी पार्टी द्वारा उनके उत्तराधिकारी का चुनाव होने तक कामकाज देखती रहेंगी. कंजरवेटिव पार्टी के नेता का चुनाव अगले सप्ताह तक पूरा किया जा सकता है. ट्रस के साथ चुनाव में उनके प्रतिद्वंद्वी रहे रिषी सुनक को अब प्रधानमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा है लेकिन आपस में बंटी हुई टोरी पार्टी में अभी तक इस लिहाज से आम सहमति नहीं बनी है. विपक्षी लेबर पार्टी ने तत्काल आम चुनाव कराने की अपनी मांग दोहराई है.

10 डाउंिनग स्ट्रीट के बाहर अपने संक्षिप्त बयान में ट्रस ने कहा, ‘‘मैं मानती हूं कि मैं हालात को देखते हुए उस जनादेश का पालन नहीं कर सकी जिस पर कंजरवेटिव पार्टी ने मुझे चुना था.’’ ट्रस ने कहा कि उन्होंने महाराजा चार्ल्स तृतीय को अपने इस्तीफे के बारे में बताया है और टोरी नेतृत्व चुनाव के प्रभारी 1922 समिति के अध्यक्ष सर ग्राहम ब्रेडी से भी मुलाकात की है.

उन्होंने कहा, ‘‘हम इस बात के लिए सहमत हो गये हैं कि अगले सप्ताह तक नेतृत्व का चुनाव पूरा किया जाना है. इससे सुनिश्चित होगा कि हम अपनी वित्तीय योजनाओं को पूरा करने के मार्ग पर चलें और अपने देश की आर्थिक स्थिरता एवं राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाकर रखें. मैं तब तक प्रधानमंत्री रहूंगी जब तक उत्तराधिकारी का चुनाव नहीं हो जाता.’’ अपने पति के साथ 10 डाउंिनग स्ट्रीट से निकल रहीं ट्रस ने कहा कि उन्होंने अत्यधिक अस्थिरता के दौर में पद संभाला था लेकिन अंतत: उन्होंने माना कि वह अपने आर्थिक एजेंडा को पूरा करने के मिशन में विफल रहीं.

ट्रस ब्रिटेन की तीसरी महिला प्रधानमंत्री बनी थीं. उनसे पहले मारग्रेट थेचर और थेरेसा मे इस पद पर रह चुकी हैं. सुनक को कंजरवेटिव पार्टी के नेता की दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा है लेकिन पार्टी के अंदर खींचतान की वजह से तस्वीर अभी साफ नहीं है. पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के करीबी लोगों का कहना है कि 2019 के आम चुनाव में उन्हें मिले जबरदस्त जनादेश को देखते हुए पार्टी को उन्हें वापस लाना चाहिए. हालांकि, ट्रस की मौजूदा परेशानी इस बात की याद दिलाती है कि किस तरह जॉनसन को उनकी पार्टी के सांसदों और मंत्रियों की खुली बगावत के बीच जुलाई में पद छोड़ने और इस्तीफा देने को मजबूर होना पड़ा था. एक दिन पहले ही सुएला ब्रेवरमैन ने ट्रस की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था.

ब्रिटेन की तीसरी महिला प्रधानमंत्री को भारत के साथ व्यापार समझौते से पहले पद छोड़ना पड़ा

ब्रिटेन की तीसरी महिला प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने लंदन स्थित 10 डाउंिनग स्ट्रीट में अपने संक्षिप्त कार्यकाल के बाद बृहस्पतिवार को इस्तीफा दे दिया और वह भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) नहीं करा सकीं. बुधवार तक संसद में खुद को ‘लड़ने वाली और जिम्मेदारी बीच में नहीं छोड़ने वाली’ के रूप में प्रस्तुत कर चुकीं ट्रस ने प्रधानमंत्री बनने के महज छह सप्ताह के बाद इस्तीफा दे दिया. ट्रस के नीति संबंधी फैसलों के बदलने, मंत्रिमंडल में उठापटक और आंतरिक रूप से गतिरोध का सामना कर रही कंजरवेटिव पार्टी का नेतृत्व करने की उनकी क्षमता के खिलाफ खुले विद्रोह के बाद पूर्व विदेश मंत्री का प्रधानमंत्री पद पर बने रहना असंभव हो गया था.

ब्रिटेन की विदेश और व्यापार मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल में भारत के साथ मजबूत द्विपक्षीय संबंधों की वकालत करने वाली ट्रस ने कंजर्वेटिव पार्टी के नेतृत्व चुनाव में भारतीय मूल के पूर्व वित्त मंत्री ऋषि सुनक को मात देकर पिछले महीने 10 डाउंिनग स्ट्रीट (ब्रिटिश प्रधानमंत्री का आधिकारिक आवास) पर दस्तक दी थी. पद पर 45 दिन रहने के बाद इस्तीफा देकर वह ब्रिटेन के इतिहास में सबसे कम समय तक रहने वाली प्रधानमंत्री बन गयी हैं. इससे पहले 1827 में जॉर्ज कांिनग अपनी मृत्यु तक 119 दिन ही इस पद पर रहे थे.

जॉनसन मंत्रिमंडल में वरिष्ठ मंत्री रहीं 47 वर्षीय ट्रस को अपनी पूर्ववर्ती महिला प्रधानमंत्रियों मार्गरेट थैचर और थेरेसा मे से कहीं अधिक मुश्किल दौर का सामना करना पड़ा जहां देश में जीवनयापन की लागत में लगातार वृद्धि हो रही है. उन्हें अपनी पार्टी में भी गुटबाजी का सामना करना पड़ा क्योंकि कंजर्वेटिव पार्टी के नेतृत्व के लिए हुए चुनाव में उन्हें 43 प्रतिशत के मुकाबले 57 प्रतिशत मतों से जीत हासिल हुई जिसे बहुत बड़ा अंतर नहीं माना जा रहा है.

लेकिन भारत के मोर्चे पर बात करें तो जॉनसन नीत सरकार में पूर्व अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री रहीं ट्रस ने भारत-ब्रिटेन उन्नत व्यापार साझेदारी (ईटीपी) पर पिछले साल मई में हस्ताक्षर किए थे. वह ब्रिटेन के लिए ब्रेक्जिट के बाद की बड़ी उपलब्धि के रूप में इस साल के अंत तक की समय-सीमा को ध्यान में रखते हुए एफटीए को लेकर बातचीत जारी रखना चाह रही थीं.

उन्होंने भारत को ‘‘ बड़ा और अहम अवसर’’ करार दिया था और उनका मानना है कि भारत और ब्रिटेन ‘‘व्यापार में जो गतिशीलता बनी है , उसे लेकर बेहतर स्थान पर हैं.’’ ईटीपी पर हस्ताक्षर करने के तुरंत बाद ट्रस ने कहा था, ‘‘हम विस्तृत व्यापार समझौते पर विचार कर रहे हैं जिसमें सब शामिल हो, वित्तीय सेवा से लेकर कानूनी सेवा तक, डिजिटल और आंकड़ों तक, वस्तु से लेकर कृषि तक. हम मानते हैं कि इस समझौते पर शीघ्र हस्ताक्षर होने की प्रबल संभावना है, जिससे दोनों पक्षों की ओर कर कम होगा, दोनों पक्ष एक दूसरे के बीच अपने सामान की आपूर्ति देखेंगे.’’ ट्रस ने पार्टी के कंजर्वेटिव फ्रेंड्स आॅफ इंडिया (सीएफआईएन) के कार्यक्रम में दोहराया था कि द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के मामले में ‘‘वह बहुत ही प्रतिबद्ध’’ हैं.

उन्होंने प्रतिबद्धता जताई थी कि वह भारत-ब्रिटेन एफटीए करना चाहती हैं जिसकी समय सीमा उनके पूर्ववर्ती ने तय की है. उन्होंने कहा कि संभवत: यह समझौता दिवाली तक हो जाएगा, लेकिन निश्चित तौर पर इस साल के अंत तक इस समझौते को अमली जामा पहना दिया जाएगा.

ट्रस लगातार ंिहद-प्रशांत क्षेत्र में रक्षा और सुरक्षा सहयोग बढ़ाने पर जोर देती रही हैं ताकि ‘‘ स्वतंत्र नेटवर्क’’ के लक्ष्य को हासिल किया जा सके और चीन एव रूस की आक्रामकता का मुकाबला किया जा सके. उन्होंने वादा किया कि ब्रिटेन का वीजा प्रशासन भारत से ‘‘बेहतरीन प्रतिभाओं’’ को आर्किषत करना जारी रखेगा. गौरतलब है कि ट्रस का जन्म आॅक्सफोर्ड में हुआ था और उनके पिता गणित के प्रोफेसर थे जबकि मां नर्स और शिक्षिका थीं. उनकी परवरिश ब्रिटेन के विभिन्न इलाकों में हुई है. ट्रस के पति एकाउंटेंट ह्यूग ओ लेरी हैं और उनकी दो बेटिया हैं.

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