जवाहिरी पर अमेरिकी ड्रोन हमले ने पाकिस्तान की संभावित भूमिका पर उठाए सवाल

इस्लामाबाद. अयमान अल जवाहिरी की अमेरिकी ड्रोन हमले में मौत ने पाकिस्तान की संभावित भूमिका को लेकर सवाल उठ रहे हैं.
दरअसल कुछ खबरों में ऐसे संकेत दिए गए थे कि हो सकता है काबुल की सुरक्षित पनाहगाह में अलकायदा प्रमुख पर सटीक हमले के लिये पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल किया गया है.

पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद से यह इस देश में अमेरिका की मिली यह पहली बड़ी कामयाबी थी. अमेरिका ने इस सप्ताहांत अफगानिस्तान की राजधानी में किए गए एक ड्रोन हमले में जवाहिरी को मार गिराया था. जवाहिरी ने ओसामा बिन लादेन के साथ मिलकर अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को हुए हमले की साजिश रची थी. काबुल में हुए इस हमले के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या जवाहिरी पर हमले के लिये सीआईए ने पाकिस्तानी हवाईक्षेत्र का इस्तेमाल किया.

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी की वरिष्ठ नेता शिरीन मजारी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘अमेरिकी ड्रोन खाड़ी क्षेत्र की दिशा से अफगानिस्तान में उड़ा- मानते हुए कि पाकिस्तान ने अपने अड्डों के इस्तेमाल की इजाजत अभी नहीं दी है (बशर्ते इस सरकार ने गुपचुप तरीके से ऐसा न किया हो)- लेकिन किस देश के हवाई क्षेत्र के ऊपर से उड़ान भरी. ईरान ने अपना हवाईक्षेत्र का अधिकार अमेरिकी सेना को नहीं दिया तो क्या पाकिस्तान के हवाईक्षेत्र का इस्तेमाल किया गया?’’ मजारी का यह ट्वीट उन खबरों के बाद आया जिनमें कहा गया था कि जवाहिरी को मार गिराने वाले ड्रोन ने संभवत: किर्गिस्तान के सैन्य हवाईअड्डे से उड़ान भरी थी.

खबरों में दावा किया गया है कि हमला उत्तरी किर्गिस्तान के मानस में एक अमेरिकी पारगमन सुविधा गैंसी एयरबेस से किया गया था.
गैंसी किर्गिस्तान में बिश्केक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास एक पूर्व अमेरिकी सैन्य अड्डा है. इसे अमेरिकी वायु सेना द्वारा संचालित किया जाता था लेकिन जून 2014 में इसे किर्गिस्तान की सेना को सौंप दिया था.

बाइडन प्रशासन हालांकि अब भी इस बात का खुलासा नहीं कर रहा कि ड्रोन ने कहां से उड़ान भरी और इसने कौन सा मार्ग लिया था.
अमेरिकी रक्षा विभाग ने केवल एक संक्षिप्त बयान जारी किया, जिसमें कहा गया था: ‘‘जवाहिरी को काबुल शहर में एक अभियान में मारा गया था, जहां वह तालिबान के अतिथि के रूप में रह रहा था. रविवार को स्थानीय समयानुसार सुबह छह बजकर 18 मिनट पर एक सटीक, आतंकवाद विरोधी अभियान में दो हेलफायर मिसाइलों से घर पर हमला किया गया था.’’ वॉंिशगटन के विल्सन सेंटर में दक्षिण एशियाई मामलों के विशेषज्ञ माइकल कुगेलमन ने कहा कि ड्रोन हमलों पर अमेरिका में ‘‘पाकिस्तान की संभावित भूमिका’’ को लेकर काफी चर्चा हो रही है.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘जवाहिरी पर हमले में पाकिस्तान की संभावित भूमिका को लेकर काफी चर्चा हो रही है. मैं इसे बढ़ा-चढ़ाकर नहीं कहूंगा, लेकिन पाकिस्तानी अधिकारियों के इस दावे कि इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं है से मैं पूरी तरह सहमत नहीं हूं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘भूगोल झूठ नहीं बोलता. अगर यह ड्रोन खाड़ी में अमेरिकी अड्डे से भेजा जाता, तो यह ईरान के ऊपर से उड़ान नहीं भर पाता. यदि आप तेजी से आॅपरेशन कर रहे हैं तो मध्य एशिया के ऊपर से उड़ान भरना कठिन है. ऐसे में पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र सबसे वांछनीय विकल्प के रूप में बचता है.’’

अफगानिस्तान में अल-कायदा नेता की मौजूदगी से अनजान था : तालिबान का दावा

काबुल में अल-कायदा प्रमुख के अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे जाने के बाद अपनी चुप्पी तोड़ते हुए तालिबान ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसे अयमान अल-जवाहिरी की मौजूदगी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. जवाहिरी के मारे जाने के बाद तालिबान और पश्चिमी देशों के संबंधों में तनाव और बढ़ गया है.

तालिबान के दोहा (कतर) स्थित राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख सुहैल शाहीन ने एपी को भेजे एक संदेश में कहा, ‘‘सरकार और नेतृत्व को पता नहीं था, जैसा दावा किया जा रहा है.’’ तालिबान का दावा और अमेरिकी बयान में विरोधाभास है क्योंकि अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि जवाहिरी तालिबान के वरिष्ठ नेता सिराजुद्दीन हक्कानी के एक शीर्ष सहयोगी के घर में रह रहा था. हक्कानी तालिबान के उप प्रमुख हैं और सरकार में आंतरिक मंत्री हैं. वह हक्कानी नेटवर्क के प्रमुख भी हैं.

वर्ष 2020 के दोहा समझौते में तालिबान ने अमेरिका से वादा किया था कि वे अल-कायदा के सदस्यों या अमेरिका पर हमला करने की मंशा रखने वालों को पनाह नहीं देंगे. शाहीन ने कहा, ‘‘दावे की सत्यता का पता लगाने के लिए जांच चल रही है. इस संबंध में नेतृत्व लगातार बैठकें कर रहा है. निष्कर्ष सभी के साथ साझा किए जाएंगे.’’

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