जतिन मेहता को कौन बचा रहा, उसके खिलाफ जांच क्यों नहीं की जा रही: कांग्रेस

नयी दिल्ली. कांग्रेस ने बैंक धोखाधड़ी के आरोपी कारोबारी जतिन मेहता से जुड़े मामले को लेकर बुधवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और सवाल किया कि मेहता के खिलाफ जांच क्यों नहीं हो रही है और उसे कौन बचा रहा है। पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने दावा किया कि अडाणी परिवार के रिश्तेदार जतिन मेहता ने 2016 में भारत की नागरिकता त्याग दी थी और इतने वर्षों के बाद भी केंद्र सरकार ने उसके खिलाफ अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

अमेरिकी संस्था ‘ंिहडनबर्ग रिसर्च’ की कुछ सप्ताह पहले आई एक रिपोर्ट में अडाणी समूह पर वित्तीय अनियमितता बरतने के आरोप लगाए गए थे और इसके बाद से कांग्रेस इस कारोबारी समूह पर लगातार हमले कर रही है। हालांकि, अडाणी समूह ने सभी आरोपों को निराधार बताया था।

सुप्रिया ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ जतिन मेहता की तीन कंपनियों- ‘विनसम डायमंड्स एंड ज्वैलरी लिमिटेड’, ‘फॉरएवर प्रेशियस ज्वैलरी एंड डायमंड्स लिमिटेड’ तथा ‘सु-राज डायमंड्स’ ने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) सहित भारत के अन्य सरकारी बैंकों को 6,712 करोड़ रुपये का चूना लगाया। इसके बाद, वह मेहुल चोकसी और नीरव मोदी जैसे बाकÞी भगोड़ों की तरह भाग गया।’’

सुप्रिया ने कहा, ‘‘जतिन मेहता और उनकी पत्नी ने 2 जून, 2016 को भारतीय नागरिकता त्याग दी तथा कैरेबियाई देश सेंट किट्स और नेविस के नागरिक के रूप में बस गए। इस देश के साथ भारत की कोई प्रत्यर्पण संधि नहीं है। फिलहाल, ब्रिटेन में अंतराष्ट्रीय बैंकों द्वारा जतिन मेहता पर मुकदमा चलाया जा रहा है, जिसका भारतीय जांच एजेंसी और कानून प्रणाली से कोई लेना-देना नहीं है।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘जतिन मेहता और मॉन्टेरोसा नाम की कंपनियों के एक समूह के बीच में भी संबंध है। खबरों के अनुसार, मॉन्टेरोसा समूह के पास मॉरीशस स्थित कुछ शेल (फर्जी) कंपनियों का मालिकाना हक है। ये वही शेल कंपनियां हैं, जिन्होंने अडाणी समूह में भारी निवेश किया है। ये निवेश हाल के महीनों में गहन जांच के दायरे में आए हैं।

सवाल है कि ये 20,000 करोड़ किसके हैं?’’ कांग्रेस प्रवक्ता ने सवाल किया, ‘‘जतिन मेहता को कौन बचा रहा है? क्या राजÞ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परम मित्र-अडाणी के समधी जतिन मेहता का कोई बाल भी बांका नहीं कर पाया? क्या कारण है कि जब जतिन मेहता और उनकी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात आती है तो (नरेंद्र) मोदी सरकार सभी अधिकारियों सहित सोई हुई पाई जाती है?’’

यह सच पता चलना चाहिए कि किस आधार पर बिल्कीस के दोषियों को रिहा किया गया: कांग्रेस

कांग्रेस ने बिल्कीस बानो मामले के दोषियों की रिहाई को लेकर उच्चतम न्यायालय द्वारा सवाल किए जाने के बाद बुधवार को केंद्र और गुजरात सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि देश को यह सच पता चलना चाहिए कि किस आधार पर इन लोगों की रिहाई हुई.

उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को बिल्कीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में 11 दोषियों को सजा में दी गई छूट को लेकर गुजरात सरकार पर सवाल उठाया और कहा कि अपराध की गंभीरता पर राज्य द्वारा विचार करना चाहिये था. शीर्ष अदालत ने पूछा कि ऐसा करते वक्त क्या विवेक का इस्तेमाल किया गया था.

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सिर्फ न्यायालय ही नहीं, बल्कि पूरा देश पूछता है कि आज बिल्कीस है, कल कोई और महिला हो सकती है…कोई सोच सकता है कि इस महिला ने क्या झेला है?’’ उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने जो प्रश्न किया है कि वो सबको झकझोर देने वाला है.

सुप्रिया ने सवाल किया, ‘‘किस आधार पर जघन्य अपराधियों को रिहा किया और किस आधार पर आपके लोगों (भाजपा) ने उन्हें संस्कारी कहा? यह सच देश को पता चलना चाहिए.’’ उन्होंने यह भी पूछा, ‘‘स्मृति ईरानी जी कहां हैं? भाजपा की और महिला नेता कहां हैं? वे चुप क्यों हैं?’’

गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आगजनी की घटना के बाद भड़के दंगों के दौरान बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी. घटना के वक्त बानो 21 साल की थीं और पांच महीने की गर्भवती भी थीं. बानो ने इस मामले में दोषी ठहराए गए 11 अपराधियों की बाकी सजा माफ करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी है. सभी 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने सजा में छूट दी थी और उन्हें पिछले साल 15 अगस्त को रिहा कर दिया था.

विदेश मंत्री सूडान से भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करें : कांग्रेस

कांग्रेस ने हिंसाग्रस्त सूडान में कर्नाटक के कई लोगों के फंसे होने को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के बीच आरोप -प्रत्यारोप के बाद सोमवार को जयशंकर पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें अपने ‘राजनीतिक आका’ के प्रति वफादारी का सबूत देने के बजाय यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी हो.

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘एक पूर्व मुख्यमंत्री की वास्तविक अपील पर विदेश मंत्री की सबसे दयनीय प्रतिक्रिया आई है. एक ऐसे व्यक्ति इस तरह से निम्न स्तर पर आए हैं जिन्हें मैं बहुत अच्छी तरह जानता हूं और जिन्होंने नयी वफादारी विकसित कर ली है और यह दिखाना चाहते हैं कि जो कहते हैं, वो करते हैं.’’ कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं विदेश मंत्री की प्रतिक्रिया से बहुत स्तब्ध हूं. इस सरकार के लोगों के साथ समस्या है कि हर चीज पर भड़क जाते हैं. सिद्धरमैया जी ने सिर्फ कर्नाटक के लोगों की सुरक्षित वापसी का आग्रह किया था.’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘इस सरकार में मंत्रियों की दिक्कत है कि वो अपने राजनीतिक आका के प्रति वफादारी का सबूत देने के लिए इतना उत्सुक रहते हैं कि यह भूल जाते हैं कि उन्होंने कुछ जिम्मेदारी और जवाबदेही की शपथ ली है.’’ सुप्रिया ने कहा, ‘‘आप (जयशंकर) जो मने करे वो करिये, लेकिन यह सुनिश्चित करिये कि सभी लोगों की सुरक्षित वापसी हो.’’ उल्लेखनीय है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कांग्रेस नेता सिद्धरमैया पर उनके इस दावे को लेकर निशाना साधा था कि कर्नाटक के 31 लोग हिंसा प्रभावित सूडान में फंसे हुए हैं.

सूडान में पिछले पांच दिन से देश की सेना और एक अर्धसैनिक बल के बीच भीषण लड़ाई हो रही है जिसमें करीब 100 लोग मारे गए हैं.
जयशंकर ने ट्वीट किया था, “आपके ट्वीट से स्तब्ध हूं! लोगों की ंिजदगी खतरे में है, राजनीति मत कीजिए. 14 अप्रैल को लड़ाई शुरू होने के बाद से, खार्तूम में भारतीय दूतावास सूडान में ज्यादातर भारतीय नागरिकों और पीआईओ के साथ लगातार संपर्क में है.”

उन्होंने कहा था, ‘‘उनकी स्थिति का राजनीतिकरण करना घोर गैर-जिम्मेदाराना है. कोई भी चुनावी लक्ष्य विदेशों में भारतीयों की जान को खतरे में डालने को सही नहीं ठहराता है.’’ जयशंकर की यह प्रतिक्रिया सिद्धरमैया द्वारा सिलसिलेवार ट्वीट किए जाने के बाद आई है.

सिद्धरमैया ने ट्वीट किया था, ‘‘जानकारी मिली है कि कर्नाटक के हक्की-पिक्की आदिवासी समूह के 31 लोग सूड़ान में फंसे हुए हैं जहां गृह युद्ध जारी है. मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री, विदेश मंत्री और मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से अपील करूंगा कि वे तत्काल हस्तक्षेप करें और उनकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करें.’’ सूडान की राजधानी खार्तूम में जारी व्यापक हिंसा के बीच वहां भारतीय दूतावास ने सोमवार को जारी अपने ताजा परामर्श में भारतीयों से अपने घरों से बाहर नहीं निकलने एवं शांत रहने को कहा. दूतावास ने रविवार को कहा था कि खार्तूम में गोली लगने से घायल एक भारतीय नागरिक की मौत हो गई.

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