चीन के साथ अमेरिका के दोबारा जुड़ाव का भारत और क्वाड के साथ मजबूत संबंधों पर नहीं पड़ेगा कोई प्रभाव

भारत 'सफलता की एक असाधारण गाथा है': अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन

दावोस. अमेरिका के एक शीर्ष अधिकारी ने बुधवार को कहा कि चीन के साथ उनके देश के दोबारा जुड़ाव से भारत के साथ उसके मजबूत संबंधों और क्वाड समूह के प्रति उसकी प्रतिबद्धताओं पर किसी प्रभाव के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. महीनों तक दोनों देशों के बीच सेना और राजनीतिक नेताओं के स्तर पर कोई संपर्क नहीं हो पाया था, और उनके बीच संभावित टकराव की स्थिति पैदा हो गयी थी . इसके बाद अमेरिका चीन के साथ विभिन्न स्तरों पर एक बार फिर से जुड़ रहा है .

अधिकारी ने कहा कि दोबारा जुड़ाव का उद्देश्य मुख्य रूप से बेहतर द्विपक्षीय संबंध बनाना है, खासकर आर्थिक और व्यापारिक मोर्चे पर, जिसे दोनों देश महत्वपूर्ण मानते हैं. उन्होंने कहा कि लेकिन इसे भारत और क्वाड देशों के साथ अमेरिका के मजबूत संबंधों पर कोई प्रभाव पड़ने के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, जो अमेरिका के लिए रणनीतिक स्तर पर बहुत महत्वपूर्ण है.

भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित चार देशों के समूह क्वाड (चतुर्भुज सुरक्षा संवाद) को अक्सर भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रति संतुलन के रूप में देखा जाता है. क्वाड की परिकल्पना सबसे पहले 2007 में की गयी थी और उसके बाद से चारों देशों ने अपने रणनीतिक संबंधों को काफी गहरा कर लिया है.

भारत ‘सफलता की एक असाधारण गाथा है’: अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन
भारत को ‘सफलता की असाधारण गाथा’ बताते हुए अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियां एवं कार्यक्रम भारत के लोगों के लिए बहुत लाभप्रद रहे हैं. विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की वार्षिक बैठक, 2024 में यहां उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन एवं प्रधानमंत्री मोदी के बीच बेहतरीन रिश्ते हैं तथा उनकी बातचीत में भारत-अमेरिका संबंध समेत सभी पहलू शामिल होते हैं.

दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार की सराहना करते हुए ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका और भारत निरंतर संवाद में लगे रहते हैं तथा उसमें लोकतंत्र एवं मौलिक अधिकारों समेत सभी पहलू शामिल रहते हैं. उन्होंने कहा, ”सदैव हमारे बीच जो वास्तविक वार्ता होती रही है, यह उसी का हिस्सा है.” वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि मोदी के शासन में भारत के तीव्र आर्थिक विकास एवं बुनियादी ढांचा विनिर्माण के बाद भी क्या हिंदू राष्ट्रवाद का उभार देश के लिए चिंताजनक है.

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