दिल्ली सरकार ने दो लाख ‘फर्जी’ श्रमिकों का पंजीकरण कराया, केजरीवाल की ईमानदारी प्रदूषित: भाजपा

नयी दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार पर दो लाख ‘फर्जी’ निर्माण श्रमिकों का पंजीकरण करने का आरोप लगाया और कहा कि उनके लिए आवंटित धन की हेराफेरी से प्राप्त धनराशि को आम आदमी पार्टी से जुड़े कामकाज में लगाया गया. भाजपा ने दावा किया कि आम आदमी पार्टी के संयोजक की ईमानदारी ‘प्रदूषित’ हो गई है.

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने इसे निर्माण श्रमिकों से संबंधित भारत का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार का मामला बताया. उन्होंने कहा कि निर्माण श्रमिकों के लिए काम करने वाले तीन गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) ने फर्जीवाड़े के माध्यम से उनके पंजीकरण में कथित तौर पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया. भाजपा के इन आरोपों पर आप की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त की गई.
दिल्ली सरकार के श्रम विभाग के तहत दिल्ली भवन और अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड मुख्य रूप से निर्माण श्रमिकों के पंजीकरण और इसकी कल्याणकारी पहल के लिए जिम्मेदार है.

भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने ‘‘फर्जी’’ निर्माण श्रमिकों के लिए 3,000 करोड़ रुपये जारी किए. पात्रा ने कहा, ‘‘मनीष सिसोदिया के नेतृत्व में गठित बोर्ड के पास इस साल के लिए कॉर्पस फंड के रूप में 3,000 करोड़ रुपये हैं. दुख की बात है कि इस मोटी रकम को घोटाले में डूबी फर्जी संस्थाओं के बीच बांट दिया जाएगा.’’ संबंधित आंकड़ों का ब्योरा देते हुए पात्रा ने कहा कि 2006 से 2021 के बीच दिल्ली सरकार के श्रम विभाग के तहत 13 लाख से अधिक निर्माण श्रमिक पंजीकृत थे. इनमें से 9 लाख से अधिक 2018 से 2021 के बीच पंजीकृत किए गए थे.

उन्होंने दावा किया, ‘‘दिल्ली में निर्माण श्रमिकों के पंजीकरण के लिए बोर्ड जिम्मेदार है. पंजीकरण का काम 2006 में शुरु हुआ और अब तक 13,13,039 पंजीकरण हो चुके हैं. 2006 के बाद से, 13 लाख से अधिक पंजीकृत किए गए हैं, लेकिन जब से आप सत्ता में आई है, 2018 और 2021 के बीच, लगभग 10 लाख निर्माण श्रमिक पंजीकृत किए गए हैं.’’ उन्होंने कहा कि जांच में दिल्ली में दो लाख फर्जी पंजीकरण का खुलासा हुआ है. उन्होंने आरोप लगाया कि 65,000 श्रमिकों के पास एक ही मोबाइल नंबर था, जबकि 15,700 के पास दिल्ली में एक ही आवासीय पता था और शेष 4,370 का एक ही स्थायी पता था.

उन्होंने कहा कि हालांकि, एक ही अस्थायी या स्थायी पते को साझा करने वाला इनमें से कोई भी श्रमिक एक-दूसरे से जुड़ा नहीं है.
पात्रा ने कहा, ‘‘प्रथम दृष्टया जांच में पता चला है कि पंजीकृत 9 लाख से अधिक निर्माण श्रमिकों में से दो लाख फर्जी पंजीकरण थे. 65,000 पंजीकृत श्रमिकों के पास एक ही मोबाइल नंबर था, 15,750 श्रमिक दिल्ली के एक ही पते पर पंजीकृत थे, जबकि 4,370 श्रमिक स्थायी पते पर पंजीकृत थे… लेकिन एक ही पते पर साझा करने वाले इन श्रमिकों में से कोई भी एक-दूसरे से संबंधित नहीं था.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह तो अभी सिर्फ प्राथिमक जांच में पता चला है जबकि अभी भी चल रही है. ये आंकड़े अंतिम नहीं हैं. फर्जी पंजीकरण की संख्या दो लाख से बढ़ भी सकती है.

पात्रा ने दिल्ली सरकार पर निर्माण श्रमिकों के कल्याण के लिए निर्धारित राशि में हेराफेरी का आरोप लगाया और कहा कि इससे प्राप्त रकम को आम आदमी पार्टी से जुड़े कामकाज में लगाया गया. उन्होंने कहा, ‘‘इन फर्जी पंजीकरणों के माध्यम से निकाले गए धन का इस्तेमान आप के कार्यकर्ताओं को पैसे देने में किया जाता है, पार्टी के काम में लगाया जाता है और यहां तक कि चुनावों में भी लगाया जाता है.’’ दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण को लेकर भी पात्रा ने आप सरकार को घेरा और आरोप लगाया कि पंजाब में पराली जलाए जाने के मामलों में 34 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि हरियाणा में इसके मामलों में 30 प्रतिशत की कमी आई है.

उन्होंने कहा, ‘‘हमने केजरीवाल को यह कहते हुए सुना कि प्रदूषण पर राजनीति न करें क्योंकि यह एक संवेदनशील मुद्दा है और बच्चों और अन्य लोगों के स्वास्थ्य से भी संबंधित है. लेकिन पिछले साल तक वह पराली जलाने के लिए पंजाब सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे थे और आश्वासन दे रहे थे कि अगर उनकी सरकार सत्ता में आई तो लोगों को ंिचता करने की जरूरत नहीं होगी.’’ भाषा ब्रजेन्द्र

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