उप्र में विपक्षी दल बोले, ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के स्वागत के राजनीतिक मायने न निकाले जाएं

लखनऊ. कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ ने भले ही अपने उत्तर प्रदेश चरण के दौरान काफी सुर्खियां बटोरी हों, लेकिन अन्य विपक्षी पार्टियों का कहना है कि उनके नेताओं द्वारा राज्य में यात्रा का स्वागत करने का कोई राजनीतिक मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए और 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले इसे विपक्षी एकता से जोड़ना जल्दबाजी होगी.

मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के नेताओं ने अलग-अलग ट्वीट के माध्यम से उत्तर प्रदेश में यात्रा की सफलता की कामना की थी, जबकि राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) राज्य में भागीदारी का निमंत्रण मिलने के बाद यात्रा में शामिल हुआ था. रालोद कार्यकर्ताओं ने पार्टी का गढ़ माने जाने वाले क्षेत्र से गुजर रही यात्रा में हिस्सा लिया था. हालांकि, पार्टी अध्यक्ष जयंत चौधरी विदेश में होने के कारण इसमें शिरकत नहीं कर सके थे.

रालोद के राष्ट्रीय सचिव अनिल दुबे ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “हमारे कार्यकर्ताओं ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का स्वागत किया, क्योंकि राहुल गांधी सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ भाईचारे को मजबूत करने के लिए निकले हैं. रालोद के अध्यक्ष जयंत चौधरी भी इसी उद्देश्य से पूरे प्रदेश में भाईचारा सम्मेलन आयोजित कर रहे हैं.” उन्होंने कहा कि हर नेता या कार्यकर्ता, जो ‘भाईचारे’ की बात करता है, जो सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ लड़ता है, रालोद उसका स्वागत करेगा.

दुबे ने कहा कि राहुल गांधी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत में यात्रा पर थे, जहां चौधरी चरण ंिसह के समय से सभी मेहमानों का स्वागत करने की परंपरा रही है और कांग्रेस नेता एक अच्छे मिशन के लिए आए थे, इसलिए रालोद ने उनका स्वागत किया.
हालांकि, उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के स्वागत के पार्टी के फैसले के कोई राजनीतिक मायने नहीं निकाले जाने चाहिए.

दुबे ने कहा, “हर कदम के राजनीतिक मायने निकालने की जरूरत नहीं है. वह (राहुल गांधी) एक अच्छे मिशन, एक गैर-राजनीतिक यात्रा पर निकले हैं और इसलिए हमने उनका स्वागत किया.” वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए कहा, “यात्रा का राजनीति से कोई संबंध नहीं है.” उन्होंने कहा, “अखिलेश जी ने यात्रा को नैतिक समर्थन दिया था. यह एक भावनात्मक समर्थन था. इसका विपक्षी एकता से कोई लेना-देना नहीं है. यात्रा राजनीतिक ध्रुवीकरण का मुद्दा नहीं है.” दुबे और चौधरी, दोनों को लगता है कि चुनाव और चुनावी समझ अभी दूर की बात है.

दुबे ने कहा, “राजनीतिक रूप से हम समाजवादी पार्टी के साथ हैं और 2024 में गठबंधन में लड़ेंगे. हमें किसके साथ हाथ मिलाना है, यह एक महत्वपूर्ण निर्णय है, जो रालोद और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्षों द्वारा लिया जाएगा. राजनीतिक निर्णय आलाकमान द्वारा लिया जाता है.” उन्होंने कहा, “भाजपा को हराने के लिए उत्तर प्रदेश में हमारा पहले से ही समाजवादी पार्टी के साथ मजबूत गठबंधन है और दोनों दल साथ काम कर रहे हैं.” राजेंद्र चौधरी ने कहा, ‘‘अगले चुनाव में कौन कहां जाएगा, यह एक ऐसा मुद्दा है, जो बहुत बाद में आकार लेगा. अभी चुनाव को लेकर भी कोई सवाल नहीं है. सांप्रदायिकता का मुकाबला करना सपा का एजेंडा है. सभी सांप्रदायिकता विरोधी ताकतों का इस लड़ाई में स्वागत है, लेकिन किसी भी समझौते की बात करना जल्दबाजी होगी.’’

दिलचस्­प बात यह है कि जौनपुर से बसपा सांसद श्­याम ंिसह यादव ने दिल्­ली में यात्रा में हिस्­सा लिया था. उन्होंने अपने इस कदम को निजी फैसला बताया था. बसपा सांसद ने कहा था, ‘‘मुझे राहुल गांधी का व्यक्तिगत निमंत्रण मिला था और यात्रा में जाना मेरा निजी फैसला था. इसका पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है.’’ उन्होंने जोर देकर कहा था, “बसपा आलाकमान से यात्रा में शामिल होने का कोई निर्देश नहीं था और न ही मैंने पार्टी से अनुमति मांगी थी. यात्रा का उद्देश्य अच्छा है. सभी समझते हैं कि विभिन्न धर्मों और वर्गों के बीच जो खाई पैदा की जा रही है, उसे प्यार में बदल जाना चाहिए.’’ यादव ने स्पष्ट किया था कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में उनकी भागीदारी को इस संकेत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए कि वह किसी अन्य पार्टी में जा रहे हैं.

जौनपुर से बसपा सांसद यादव ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दिल्ली में दाखिल होने के बाद इसमें शामिल हुए थे. वह राहुल गांधी के साथ राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न क्षेत्रों में लगभग तीन घंटे तक पदयात्रा करते नजर आए थे. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद पी एल पुनिया ने जोर देकर कहा कि राहुल गांधी ने खुद स्पष्ट किया है कि यह एक गैर-राजनीतिक यात्रा है और इसे राजनीति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.

पुनिया ने कहा, “यात्रा का मकसद हाल के दिनों में आम लोगों को हुई गंभीर समस्याओं को दूर करना है और इसलिए अन्य दलों और वर्गों के लोग इसमें शामिल हो रहे हैं.” उन्होंने कहा, “वे मुख्य रूप से कांग्रेसी हैं, जो यात्रा से जुड़े हैं और इससे प्रेरणा ले रहे हैं. ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का उद्देश्य राजनीतिक नहीं है और इसे चुनाव से जोड़ना जल्दबाजी है.’’ पुनिया ने कहा, “राजनीति और गठबंधन ऐसे मुद्दे हैं, जिनके संबंध में कई पहलुओं को ध्यान में रखना पड़ता है. समय भी ऐसा नहीं है कि इसे राजनीतिक यात्रा माना जाए, क्योंकि चुनाव बहुत दूर हैं.”

वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव के लिए जहां सपा और कांग्रेस एक साथ आए थे, वहीं अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी ने 2019 के आम चुनाव में मायावती के साथ गठबंधन किया था. 2022 के विधानसभा चुनावों में सपा ने रालोद और कुछ क्षेत्रीय दलों के साथ हाथ मिलाया, जबकि सबसे अधिक आबादी वाले राज्य में बसपा और कांग्रेस ने अपने दम पर चुनाव लड़ा था.

चूंकि, अगला आम चुनाव दूर नहीं है, इसलिए उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से मुकाबला करने के लिए विपक्षी एकता की संभावनाओं के बारे में बातचीत शुरू हो गई है. उत्तर प्रदेश लोकसभा में 80 सांसद भेजता है. कांग्रेस की कन्याकुमारी से कश्मीर तक निकाली जा रही ‘भारत जोड़ो यात्रा’ यात्रा पिछले सप्ताह तीन दिनों के लिए उत्तर प्रदेश में थी. यात्रा ने तीन जनवरी को गाजियाबाद के लोनी बॉर्डर से उत्तर प्रदेश में प्रवेश किया था और पांच जनवरी को शामली के कैराना से होते हुए हरियाणा के पानीपत रवाना हुई थी.

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