प्रधानमंत्री मोदी ने गहलोत की बड़ाई की, इसे इतना हल्के में न लें: पायलट

गहलोत ने मोदी की तारीफ नहीं की, उन्हें आईना दिखाया : सुप्रिया श्रीनेत

जयपुर/नयी दिल्ली. राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ‘बड़ाई’ किए जाने पर कटाक्ष करते हुए बुधवार को इसे ‘रोचक घटनाक्रम’ बताया और पार्टी आलाकमान से राज्य में मुख्यमंत्री पद को लेकर ‘अनिर्णय’ की स्थिति को समाप्त करने के लिये कहा.

इसके साथ ही पायलट ने सितंबर में कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक का बहिष्कार करते हुए गहलोत के समर्थन में विधायकों के शक्ति प्रदर्शन की अगुवाई करने वाले राजस्थान के नेताओं के खिलाफ कार्रवाई किए जाने पर जोर दिया. पायलट के इस ताजा बयान को कांग्रेस की राजस्थान इकाई में गहलोत एवं पायलट ‘खेमों’ के बीच खींचतान को फिर से शुरू होने का संकेत माना जा रहा है. यह खींचतान पार्टी के अध्यक्ष पद के चुनाव के चलते कई दिनों से थमी हुई थी.

वहीं मुख्यमंत्री गहलोत ने पायलट व अन्य नेताओं के ताजा बयान संबंधी सवाल को यह कहते हुए टाल दिया, ‘नेताओं को ऐसे बयान नहीं देने चाहिए.’ साल 2020 में गहलोत के खिलाफ कुछ विधायकों के विद्रोह का नेतृत्व करने वाले पायलट ने बांसवाड़ा जिले के मानगढ़ धाम में मंगलवार को हुए कार्यक्रम का जिक्र करते हुए गहलोत पर निशाना साधा.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘प्रधानमंत्री जी ने कल जो बयान दिए, जो बड़ाइयां कीं… मैं समझता हूं कि एक बड़ा दिलचस्प घटनाक्रम है. क्योंकि इसी प्रकार प्रधानमंत्री जी ने सदन में गुलाम नबी आजाद की बड़ाइयां की थीं, उसके बाद का घटनाक्रम हम सबने देखा है.’ उल्लेखनीय है कि कांग्रेस नेता आजाद ने पार्टी छोड़कर खुद की पार्टी बनाई है.

पायलट ने आगे कहा, ‘तो कल का घटनाक्रम बड़ा रोचक था, जो प्रधानमंत्री जी ने स्वत: ही बड़ाइयां की हैं, इसको मैं बड़ा रोचक मानता हूं और इसे इतना हल्के में नहीं लेना चाहिए.’ पायलट ने एक तरह से पार्टी आलाकमान द्वारा उन स्थानीय नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.

उल्लेखनीय है कि 25 सितंबर को मुख्यमंत्री आवास पर कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक बुलाई गई थी. इसे कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव से पहले मुख्यमंत्री को बदलने की कवायद के रूप में देखा गया क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा था.

हालांकि, सीएलपी की बैठक नहीं हो सकी क्योंकि गहलोत के वफादार विधायकों ने संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर समानांतर बैठक की और सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के किसी भी संभावित कदम के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया.

इन विधायकों का कहना था कि अगर विधायक दल का नया नेता चुनना है तो वह उन 102 विधायकों में से हो जिन्होंने जुलाई 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान अशोक गहलोत सरकार का समर्थन किया था. तब पायलट और 18 अन्य विधायकों ने गहलोत के खिलाफ बगावत की थी.

इसके बाद कांग्रेस की अनुशासनात्मक समिति ने मंत्री शांति धारीवाल और महेश जोशी तथा पार्टी के नेता धर्मेंद्र राठौड़ को उनकी इस ‘‘घोर अनुशासनहीनता’’ के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया और उनसे 10 दिन के भीतर यह बताने के लिए कहा कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए.

पायलट ने कहा कि राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए अब केवल 13 महीने बचे हैं और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी एआईसीसी विधायक दल की बैठक बुलाने सहित कोई भी फैसला जल्द करेगी. उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि पार्टी जल्द ही उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेगी जिन्हें सितंबर में अनुशासनहीनता के लिए नोटिस दिया गया था. पायलट ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक के समानांतर बैठक करने के मामले में पार्टी द्वारा नोटिस जारी किए जाने के मामले में जल्द कार्रवाई की जाएगी.

उन्होंने कहा, ‘जहां पर अनुशासनहीनता पर कार्रवाई करने का सवाल है तो यह मल्लिकार्जुन खरगे, अजय माकन, केसी वेणुगोपाल जी के पूरे संज्ञान में है. उस पर भी जल्द कार्रवाई होगी.’ उन्होंने कहा, ‘मैं ऐसा मानता हूं कि कांग्रेस एक पुरानी व अनुशासित पार्टी है. इसमें सबके लिए नियम कायदे बराबर होते हैं तो जो अनुशासनहीनता की या उसके जवाब मांगे गए जवाब दिए तो उस पर शीघ्र फैसला किया जाना चाहिए क्योंकि कोई व्यक्ति कितना भी बड़ा हो पार्टी का अनुशासन व कानून सब पर लागू होता है.’

उन्होंने कहा, ‘राजस्थान में भी जो ये अनिर्णय का जो माहौल बना हुआ है उसको भी समाप्त करने का मुझे लगता है कि समय आ गया है और बहुत जल्द पार्टी इस पर कार्रवाई करेगी.’ पायलट के इस बयान से तात्पर्य राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों से जोड़कर देखा जा रहा है.

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘मैं ऐसा मानता हूं, जहां तक राजस्थान के बारे में फैसला किए जाने की बात है कि हमारे संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने खुद कहा था कि बहुत जल्द इस बारे में फैसला किया जाएगा कि भविष्य में क्या करना है.’ राज्य में किसी तरह के बदलाव की संभावना के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस नेता ने कहा कि किसी को भी कोई पद या जिम्मेदारी देना पार्टी का काम है.

उल्लेखनीय है कि मोदी बांसवाड़ा के पास मानगढ़ धाम में ‘मानगढ़ धाम की गौरव गाथा’ कार्यक्रम में भाग लेने आए थे. तब उन्होंने कहा था ‘‘मुख्यमंत्री के नाते अशोक गहलोत जी और हम साथ साथ काम करते रहे हैं और अशोक जी हमारे जो मुख्यमंत्रियों की जमात थी उसमें सबसे सीनियर थे.. सबसे सीनियर मुख्यमंत्रियों में हैं और अब भी हम जो मंच पर बैठे है उसमें भी अशोक जी सीनियर मुख्यमंत्रियों में से एक हैं.’’

हिमाचल प्रदेश व गुजरात के आगामी विधानसभा चुनाव के बारे में पायलट ने कहा,’हिमाचल प्रदेश व गुजरात के चुनाव हम पूरी ताकत से लड़ रहे हैं और दोनों राज्यों में सरकार हम बनाएंगे.’ वहीं मुख्यमंत्री गहलोत से पायलट व अन्य नेताओं के ताजा बयान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने अलवर में संवाददाताओं से कहा, ‘देखो बयान तो नहीं देना चाहिए वैसे तो. क्योंकि हमारे महासचिव केसी वेणुगोपाल जी ने अभी कहा कि बयानबाजी कोई नहीं करेंगे. तो हम तो चाहते हैं कि अनुशासन का पालन सब लोग करें.’ उन्होंने कहा कि हमारा ध्येय तो यही होना चाहिए कि राज्य में कांग्रेस की फिर सरकार कैसे बने.

गहलोत ने मोदी की तारीफ नहीं की, उन्हें आईना दिखाया : कांग्रेस

कांग्रेस ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के संदर्भ में सचिन पायलट के बयान को लेकर बुधवार को कहा कि गहलोत ने भरे मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ नहीं की, बल्कि उन्हें आईना दिखाया. पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने संवाददाताओं से कहा, “प्रधानमंत्री ने कहा कि गहलोत जी सबसे अनुभवी मुख्यमंत्री हैं . उसी मंच से जब गहलोत ने कहा कि मोदी जी उस देश के प्रधानमंत्री हैं जो नेहरू, मौलाना आजाद, अम्बेडकर और सरदार पटेल का देश है और जहां 70 साल बाद भी लोकतंत्र ंिजदा है.”

उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि गहलोत जी ने मोदी जी की तारीफ नहीं की, बल्कि उनको आईना दिखाया है.” पायलट ने बुधवार को कहा कि अब समय आ गया है कि कांग्रेस राजस्थान में राजनीतिक अनिर्णय की स्थिति को समाप्त करे. इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक सार्वजनिक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की प्रशंसा किए जाने पर कटाक्ष करते हुए इसे ‘रोचक घटनाक्रम’ बताया और कहा कि इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए.

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