उत्तराखंड के जोशीमठ में परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाए जाने के बीच प्रदर्शन जारी

गोपेश्वर. उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में कई मकानों में दरारें आने के बाद बृहस्पतिवार को परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाए जाने के बीच लोगों का प्रदर्शन जारी रहा. शहर में लोगों की परेशानियों की ओर प्रशासन के बेपरवाही वाले रवैये और ‘‘एनटीपीसी की परियोजना जिसकी वजह से समस्या पैदा हुई है’’ के विरोध में बंद रहा.

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती ने बताया कि लोग प्रशासन के विरोध में नारेबाजी करते हुए सड़कों पर उतर आए और उन्होंने चक्का जाम किया. प्रदर्शन कर रहे लोगों को समझाने बुझाने के लिए उपजिलाधिकारी (एसडीएम) पहुंचे लेकिन लोगों ने उनसे कहा कि उनकी मांगों पर कोई ठोस निर्णय लिए जाने तक वे इसे जारी रखेंगे.

इन मांगों में रहवासियों का पुनर्वास,हेलांग और मारवाडी के बीच एनटीपीसी की सुरंग और बाइपास रोड का निर्माण बंद करना आदि हैं.
कम से कम 30 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. राज्य के चमोली जिले में, बदरीनाथ तथा हेमकुंड 6,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है और भूकंप के अत्यधिक जोखिम वाले ‘जोन-पांच’ में आता है.

विभिन्न इलाकों में अब तक 561 मकानों में दरारें आ चुकी हैं, जिनमें रविग्राम में 153, गांधीनगर में 127, मनोहरबाग में 71, सिंहधार में 52, परसारी में 50, अपर बाजार में 29, सुनील में 27, मारवाड़ी में 28 और लोअर बाजार में 24 मकान शामिल हैं. उन्होंने बताया कि अलग-अलग मकानों को अलग-अलग 29 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर और परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाएगा.

अधिकारी ने कहा कि जिन स्थानों पर परिवारों को स्थानांतरित किया गया है उनमें नगर पालिका भवन, एक प्राथमिक विद्यालय भवन, मिलन केंद्र और जोशीमठ गुरुद्वारा शामिल हैं. उन्होंने बताया कि कुछ परिवार अपने संबंधियों के यहां चले गए हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जोशीमठ में स्थिति पर करीब से नजर रखी जा रही है और वह हालात का जायजा लेने स्वयं वहां जाएंगे. भूकंप के अत्यधिक जोखिम वाले ‘जोन-पांच’ में आने वाले इस शहर का सर्वे करने के लिए विशेषज्ञों का एक दल भी गठित किया गया है.

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