राहुल गांधी 2024 में प्रधानमंत्री पद का चेहरा होंगे : कमलनाथ

नयी दिल्ली. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को लेकर राहुल गांधी के नेतृत्व की सराहना करते हुए शुक्रवार को कहा कि वह (राहुल) वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष का चेहरा ही नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री पद का चेहरा भी होंगे.

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को ईमेल के माध्यम से दिए साक्षात्कार में यह भी कहा भी कहा कि राहुल गांधी सत्ता की नहीं, बल्कि जनता की राजनीति करते हैं, ऐसे नेता को देश के लोग खुद-ब-खुद सिंहासन पर बैठा देते हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या राहुल गांधी अगले लोकसभा चुनाव में विपक्ष का चेहरा हो सकते हैं, तो कमलनाथ ने कहा, ‘‘जहां तक 2024 के चुनाव का सवाल है, तो राहुल गांधी जी विपक्ष का चेहरा ही नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री का चेहरा भी होंगे.’’

उनके मुताबिक, “दुनिया के इतिहास में 3500 किलोमीटर से अधिक की पैदल यात्रा किसी व्यक्ति ने नहीं की है. भारत देश के लिए इतनी शहादत किसी परिवार ने नहीं दी है, जितनी गांधी परिवार ने दी है.” कमलनाथ ने कहा, “राहुल गांधी सत्ता की राजनीति नहीं करते हैं. वह जनता की राजनीति करते हैं और जो जनता की राजनीति करता है, जनता उसे खुद-ब-खुद सिंहासन पर बैठा देती है.” हाल के दिनों में यह पहली बार है, जब कांग्रेस के किसी वरिष्ठ नेता ने यह कहा है कि अगले लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी प्रधानमंत्री पद का चेहरा होंगे.

मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष 76 वर्षीय कमलनाथ ने कहा, “जब ‘भारत जोड़ो यात्रा’ तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक जैसे दक्षिण भारत के राज्यों से गुजर रही थी, तो भाजपा ने दुष्प्रचार किया कि महाराष्ट्र में यात्रा विफल हो जाएगी. जब महाराष्ट्र में यात्रा को और ज्यादा समर्थन मिला, तो कहा कि हिंदी पट्टी में दक्षिण भारत जैसा समर्थन नहीं मिल पाएगा, लेकिन मध्य प्रदेश पहुंचकर यात्रा ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए.” उन्होंने यह भी कहा, “अब तो सबने राजस्थान और उसके बाद दिल्ली में भी देख लिया है कि राहुल गांधी जी की यात्रा किस कदर लोकप्रिय हो रही है.” उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में कांग्रेस के कार्यकर्ता ही शामिल नहीं हुए, बल्कि आम जनता और खासकर नौजवानों ने बढ़-चढ़कर भागीदारी की.

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘राहुल गांधी स्पष्ट कर चुके हैं कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ कोई राजनीतिक यात्रा नहीं है. इस यात्रा का उद्देश्य भारत को तोड़ने वाली शक्तियों को पराजित करना और नफरत को समाप्त करना है. जहां तक चुनाव का सवाल है, तो मध्य प्रदेश में प्रचंड बहुमत से कांग्रेस की सरकार बननी तय है. ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बाद कार्यकर्ता दोगुने उत्साह से कार्य कर रहे हैं.’’ यह पूछे जाने पर कि मध्य प्रदेश में भाजपा के मुख्यमंत्री बदलने की स्थिति में क्या कांग्रेस के लिए चुनौती मुश्किल होगी, तो कमलनाथ ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री कौन है.
उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश में किसे मुख्यमंत्री बनाती है यह पार्टी का आंतरिक मामला है. मध्य प्रदेश की जनता ने तो 2018 में कांग्रेस का मुख्यमंत्री बनाया था. भाजपा जो भी मुख्यमंत्री बनाएगी, वह खरीद-फरोख्त की सरकार का मुखिया होगा. कांग्रेस पार्टी को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि भाजपा का मुख्यमंत्री कौन है. आप मध्य प्रदेश की जनता का इरादा समझ लें कि वह 2023 में कांग्रेस की सरकार बनाने वाली है.’’ यह पूछे जाने पर कि क्या भविष्य में ज्योतिरादित्य सिंधिया और पार्टी छोड़ने वाले कुछ अन्य नेताओं की कांग्रेस में वापसी संभव है, तो उन्होंने कहा, ‘‘मैं किसी व्यक्ति विशेष के बारे में टिप्पणी नहीं करता. लेकिन जिन लोगों ने पार्टी के साथ गद्दारी की है, कार्यकर्ताओं का भरोसा तोड़ा है और मध्य प्रदेश की जनता के साथ बेईमानी की है, उनके लिए कांग्रेस के दरवाजे बंद हैं.’’ उन्होंने पुरानी पेंशन और संविदार्किमयों से जुड़े सवाल पर कहा, ‘‘मैं पहले ही घोषणा कर चुका हूं कि पुरानी पेंशन की बहाली की जाएगी. संविदा कर्मचारियों को भी उनका न्यायपूर्ण हक दिलाया जाएगा. मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनते ही इन वादों को पूरा किया जाना तय है.’’ कमलनाथ ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रदेश कांग्रेस के संगठन में बदलाव किए जाएंगे. मध्य प्रदेश में अगले साल नवंबर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर संगठन में बदलाव होंगे. विधानसभा चुनाव को देखते हुए कई विधायक और विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक कार्यकर्ता संगठन के पद छोड़ना चाहते हैं, ताकि वह पूरा ध्यान चुनाव पर लगा सकें. उनके इस आग्रह पर पूरा विचार किया जा रहा है.’’ मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष ने यह भी कहा, ‘‘कई नेता और कार्यकर्ता ऐसे हैं, जिनमें संगठनात्मक क्षमता है, लेकिन अभी वे उचित पद पर नहीं हैं, जिससे कि उनकी प्रतिभा का पूरा इस्तेमाल हो सके. ऐसे कार्यकर्ताओं को संगठन में बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी.’’

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