राणा के प्रत्यर्पण से उसकी यात्राओं के बारे में कड़ियों को जोड़ने में मिलेगी मदद

नयी दिल्ली. आतंकी तहव्वुर हुसैन राणा के अमेरिका से संभावित प्रत्यर्पण से 2008 में मुंबई आतंकवादी हमलों से कुछ दिन पहले उत्तर और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में उसकी यात्राओं के बारे में महत्वपूर्ण सुराग मिल सकते हैं. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक 64 वर्षीय राणा 2023 में 14 साल की सजा पूरी करने के बाद लॉस एंजिल्स के एक महानगरीय हिरासत केंद्र में हिरासत में है. वह पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी और मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक डेविड कोलमैन हेडली का करीबी सहयोगी रहा है.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि उनके प्रशासन ने राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है.
प्र्त्यियपत होने के बाद, राणा इस मामले में भारत में मुकदमे का सामना करने वाला वाला तीसरा आतंकी होगा. इससे पहले अजमल कसाब और जबीउद्दीन अंसारी उर्फ ??अबू जंदल को इस मामले में दोषी ठहराया जा चुका है. नवंबर 2012 में, एकमात्र जीवित बचे पाकिस्तानी आतंकवादी कसाब को पुणे की यरवदा जेल में फांसी पर लटका दिया गया था.
अमेरिकी संघीय एजेंसी ‘एफबीआई’ ने 27 अक्टूबर 2009 को राणा को गिरफ्तार किया था. उसके खिलाफ 2011 में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और आतंकवाद की रोकथाम संबंधी ‘सार्क कन्वेंशन’ की धारा 6(2) के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया था.
भारत में हेडली के ठिकानों की पड़ताल करते हुए, केंद्रीय सुरक्षा अधिकारियों को पता चला कि राणा ने 13 नवंबर से 21 नवंबर 2008 के बीच अपनी पत्नी समराज राणा अख्तर के साथ हापुड़, दिल्ली, आगरा, कोच्चि, अहमदाबाद और मुंबई की यात्रा की थी. राणा ने अपने पते के प्रमाण के तौर पर ‘इमिग्रेंट लॉ सेंटर’ से व्यावसायिक प्रायोजक पत्र और कुक काउंटी से संपत्ति कर भुगतान नोटिस प्रस्तुत किया था. अधिकारियों ने कहा कि राणा को भारत लाये जाने पर उसकी इन यात्राओं का उद्देश्य स्थापित हो जाएगा. वर्ष 2009 में गिरफ्तार होने के बाद, राणा को 2011 में दोषी ठहराया गया और 14 साल की सजा सुनाई गई.
राणा को डेनमार्क में आतंकवादी साजिश के लिए सहायता प्रदान करने की साजिश के एक मामले और आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को सहायता प्रदान करने के एक मामले में अमेरिका में दोषी ठहराया गया था. मुकदमे के साक्ष्य में रिकॉर्ड की गई बातचीत के टेप भी शामिल थे, जिनमें सितंबर 2009 की बातचीत भी शामिल थी. इससे पता चला कि हेडली और राणा ने उन खबरों के बारे में बात की थी कि एक सह-प्रतिवादी और कथित पाकिस्तानी आतंकवादी नेता इलियास कश्मीरी की हत्या कर दी गई.
अन्य बातचीत में राणा ने हेडली से कहा कि मुंबई आतंकी हमले में शामिल हमलावरों को पाकिस्तान का सर्वोच्च मरणोपरांत सैन्य सम्मान मिलना चाहिए. वर्ष 2009 की र्गिमयों के अंत में, राणा और हेडली इस बात पर सहमत हुए कि राणा को प्रदान की गई धनराशि का इस्तेमाल डेनमार्क में हेडली के काम को सुविधाजनक बनाने के लिए किया जा सकता है. साक्ष्य से पता चला कि राणा ने डेनमार्क में आव्रजन कार्यालय स्थापित करने के लिए वहां के एक समाचार पत्र को ईमेल भेजते समय हेडली होने का नाटक किया था.
एनआईए ने राणा को ”सह-साजिशकर्ता” के रूप में आरोपपत्र में नामजद किया था, जिसने भारत में आतंकवादी हमलों को अंजाम देने की आपराधिक साजिश के लिए हेडली और अन्य सह साजिशकर्ताओं को वित्तीय और अन्य सहायता प्रदान की थी. राणा की फर्स्ट वर्ड इंटरनेशनल फर्म का इस्तेमाल लश्कर-ए-तैयबा समूह द्वारा राणा को सौंपे गए आतंकी हमले को अंजाम देने के लिए किया गया था.
इसी कंपनी के जरिए हेडली ने मुंबई में ‘इमिग्रेंट लॉ सेंटर’ का एक शाखा कार्यालय स्थापित करने के उद्देश्य से भारत में मल्टीपल एंट्री बिजनेस वीज.ा के लिए आवेदन किया था. राणा ने जुलाई 2007 में 10 साल के लिए उसके वीजा विस्तार में भी मदद की थी. दस पाकिस्तानी आतंकवादियों के एक समूह ने 26 नवंबर 2008 को अरब सागर में समुद्री मार्ग से भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई में घुसपैठ करने के बाद एक रेलवे स्टेशन, दो लक्जरी होटल और एक यहूदी केंद्र पर हमला किया था. मारे गए 166 लोगों में अमेरिकी, ब्रिटिश और इजराइली नागरिक भी शामिल थे. करीब 60 घंटे तक इस हमले ने पूरे देश में सनसनी फैला दी और भारत और पाकिस्तान को युद्ध के कगार पर ला खड़ा किया.