शिक्षक भर्ती घोटाला: अभिषेक बनर्जी पर 25 लाख रुपये जुर्माना के आदेश पर उच्चतम न्यायालय ने लगाई रोक

नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश पर शुक्रवार को रोक लगा दी. उल्लेखनीय है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अपने पूर्व के एक आदेश को वापस लेने का अनुरोध करने वाली बनर्जी की याचिका को खारिज करते हुए यह जुर्माना लगाया था. आदेश में कहा गया था कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले के मामलों में उनसे पूछताछ कर सकते हैं.

हालांकि, शीर्ष अदालत ने इस समय उच्च न्यायालय के फैसले के बाकी हिस्से पर रोक नहीं लगाई है जिसमें कहा गया है कि केंदीय जांच एजेंसियां तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी से इन मामलों के संबंध में पूछताछ कर सकती है. शीर्ष अदालत अभिषेक की याचिका पर जुलाई में सुनवाई करेगी.

न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने बनर्जी की याचिका में दी गई दलील पर गौर किया था, लेकिन 25 लाख रुपए जुर्माना लगाने की ”शायद आवश्यकता नहीं थी.” न्यायमूर्ति नरसिम्हा ने कहा, ”लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि कोई जुर्माना नहीं लगाया जा सकता… मुझे लगता है कि यह बहुत ही संतुलित एवं निष्पक्ष आदेश है.” पीठ ने कहा कि वह जुर्माना लगाए जाने पर रोक लगाएगी और उच्च न्यायालय के 18 मई के आदेश के खिलाफ दाखिल बनर्जी की याचिका को जुलाई में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेगी.

उच्च न्यायालय ने 18 मई को बनर्जी की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें अदालत से उसके पूर्व के आदेश को वापस लेने का आग्रह किया गया था. इस आदेश में कहा गया था कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी जांच एजेंसियां शिक्षक भर्ती घोटाले के सिलसिले में अभिषेक बनर्जी से पूछताछ कर सकती हैं.

पीठ ने कहा, ”10 जुलाई से शुरू हो रहे सप्ताह में इसे पुन: सूचीबद्ध किया जाए. सूचीबद्ध किए जाने की अगली तारीख तक जुर्माना लगाने संबंधी उस आदेश पर रोक रहेगी, जिसे चुनौती दी गई है.” बनर्जी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने उच्च न्यायालय के आदेश का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें ”स्पष्ट रूप से त्रुटियां” थीं.

पीठ ने कहा, ”हम कुछ नहीं कर रहे, हम केवल नोटिस जारी कर रहे हैं और जवाब मांग रहे हैं.” उसने कहा कि वह मामले को न्यायालय के अवकाश के बाद सुनवाई किए जाने के लिए स्थगित करेगी. उच्चतम न्यायालय ने 28 अप्रैल को कलकत्ता उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश से पश्चिम बंगाल स्कूल भर्ती ‘घोटाले’ के मामले में सुनवाई किसी और न्यायाधीश को सौंपने का शुक्रवार को निर्देश दिया था.

इससे कुछ दिन पहले उच्चतम न्यायालय ने एक टेलीविजन चैनल को दिये गये न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय के साक्षात्कार को लेकर अप्रसन्नता जताई थी, जिसमें उन्होंने इस विवाद पर अपनी बात रखी थी. पीठ ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश के बाद मामले को किसी अन्य पीठ को सौंपा गया था, जिसने बनर्जी की याचिका समेत अर्जियों पर आदेश पारित किए थे.

उसने कहा, ”अदालत ने कहा कि जहां तक जांच की बात है, हम हस्तक्षेप नहीं कर सकते. यह किस हद तक गलत है?” उसने कहा कि याचिकाओं में उठाए गए बिंदुओं पर उच्च न्यायालय ने गौर किया था, जो बाद में इस निष्कर्ष पर पहुंचा था कि हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है. ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि एजेंसी के पास स्वतंत्र रूप से जांच करने का अधिकार है और इसे छीना नहीं जा सकता.

पीठ ने कहा कि दोनों पक्ष मामले की सुनवाई की अगली तारीख पर अपनी-अपनी दलील पेश कर सकते हैं. मामले में, पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल न्यायालय में पेश हुए. मामले की जांच के सिलसिले में सीबीआई ने 20 मई को बनर्जी से नौ घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी. बनर्जी ने अपनी याचिका में शीर्ष अदालत से यह निर्देश देने का अनुरोध किया है कि एजेंसी उनके खिलाफ कोई कठोर कदम न उठाए.

अभिषेक बनर्जी का नाम घोटाले में एक आरोपी कुंतल घोष द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत में सामने आया था. घोष ने आरोप लगाया है कि केंद्रीय एजेंसियां उस पर भर्ती घोटाले में बनर्जी का नाम लेने का दबाव बना रही हैं. बनर्जी, पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के महासचिव हैं.

एजेंसी ने बनर्जी को समन कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा उनकी याचिका को खारिज करने के 24 घंटे के भीतर जारी किया था. याचिका में उन्होंने अदालत के उस पिछले आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया था, जिसमें कहा गया था कि सीबीआई तथा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी जांच एजेंसियां ??शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में उनसे पूछताछ कर सकती हैं.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने आरोप लगाया था कि तृणमूल कांग्रेस के जो नेता झुकने को तैयार नहीं हैं, उन्हें परेशान किया जा रहा है, जबकि विभिन्न मामलों में शामिल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही.

डायमंड हार्बर से दो बार के सांसद अभिषेक से प्रवर्तन निदेशालय ने कोयले की अवैध खुदाई से जुड़े घोटाले के सिलसिले में 2021 में राष्ट्रीय राजधानी स्थित एजेंसी के कार्यालय में पूछताछ की थी. इसी मामले में उनसे 2022 में कोलकाता में पूछताछ की गई थी.
सीबीआई स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती से जुड़े मामले में आपराधिक पहलू की जांच कर रही है, जबकि प्रवर्तन निदेशालय इसमें हुई कथित अनियमितताओं में धन के लेन-देन की जांच कर रहा है.

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