आतंकवादी विचारधारा के सीमापार प्रसार को राजनीतिक समस्या करार नहीं दिया जा सकता : शाह

नयी दिल्ली. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आतंकवाद को मानवाधिकार का सबसे अधिक उल्लंघन करने वाला करार देते हुए शुक्रवार को कहा कि आॅनलाइन माध्यम से आतंकवादी विचारधारा के सीमापार प्रसार को ‘राजनीतिक समस्या’ नहीं माना जा सकता.
इंटरपोल महासभा के 90वें सत्र को समापन दिवस पर संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि सभी देशों को आतंकवाद और आतंकवादियों की समान परिभाषा तय करने के लिए एक साथ आना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘‘हम आतंकवादियों और आतंकवाद से तब तक नहीं लड़ सकते जब तक दोनों की समान परिभाषा न हो. आतंकवाद से लड़ने की प्रतिबद्धता और अच्छे एवं बुरे आतंकवाद में भेद करना या बड़े और छोटे हमले के रूप में वर्गीकरण करना साथ-साथ नहीं चल सकता.’’ शाह ने कहा कि आॅनलाइन माध्यम से कट्टरपंथ को बढ़ावा देकर आतंकवादी विचारधारा का सीमापार प्रसार के बारे में आम सहमति होनी चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘‘ हम इसे राजनीतिक समस्या नहीं मान सकते हैं. हम सभी को आतंकवाद के खिलाफ दीर्घकालिक, विस्तृत और स्थायी लड़ाई सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध होना पड़ेगा.’’ शाह ने कहा कि इंटरपोल ‘सीमा से परे सहयोग’ का सबसे बेहतरीन मंच है जो ‘सीमापार आतंकवाद’ को हराने के लिए जरूरी है.

गृहमंत्री ने कहा कि कई देशों में इंटरपोल की नोडल एजेंसी और आतंकवाद रोधी एजेंसी अलग-अलग हैं. उन्होंने कहा, ‘‘ इस परिस्थिति में आतंकवाद से लड़ने के लिए हमें दुनिया की सभी आतंकवाद रोधी एजेंसियों को एक साथ लाना होगा.’’ शाह ने इंटरपोल से विभिन्न देशों की आतंकवाद रोधी एजेंसियों के साथ स्थायी संचार चैनल विकसित करने का आ’’ान किया जहां पर वास्तविक समय में देशों के बीच सूचना और खुफिया जानकारी साझा की जा सके.

उन्होंने कहा कि भारत सभी प्रकार के वैश्विक आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए प्रतिबद्ध है और प्रौद्योगिकी एवं मानव संसाधन उपलब्ध कराने को तैयार है. शाह ने कहा कि भारत की आजादी की 75वीं सालगिरह पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नशा मुक्त भारत का दृष्टिकोण पेश किया है. उन्होंने कहा कि मादक पदार्थों के गैर कानूनी कारोबार को रोकने के लिए एक ऐसा मंच बनाने की जरूरत है जहां पर देशों के बीच खुफिया जानकारी साझा की जा सके.

स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) द्वारा प्राप्त हाल की सफलताओं को रेखांकित करते हुए शाह ने कहा, ‘‘ संयुक्त अभियानों, क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा, आपसी कानूनी सहायता के लिए सूचनाओं को साझा करने की जरूरत है. धनशोधन से लेकर मादक पादर्थ आतंकवाद और नशीले पदार्थों की तस्करी का मुकाबला करने के लिए प्रभावी व्यवस्था बनाने की जरूरत है.’’ उल्लेखनीय है कि इंटरपोल महासभा के सत्र का आयोजन नयी दिल्ली में भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के अवसर पर हो रहा है.

शाह ने कहा कि अपराध की मौजूदा घटनाएं ‘सीमा विहीन’ हैं और इंटरपोल के सभी सदस्यों को इस चुनौती से निपटने के लिए साथ आना चाहिए. उन्होंने कहा कि इन मुद्दों से निपटने में वैश्विक पुलिस संगठन (इंटरपोल) की भूमिका ‘बहुत अहम’ है. शाह ने कहा कि मोदी सरकार पुलिस को सभी चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाने की कोशिश रही है. उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद और मादक पदार्थ तस्करी के मामलों का राष्ट्रीय डेटाबेस बना रहा है ताकि पुलिस इन सूचनाओं का प्रभावी तरीके से इस्तेमाल कर सके.

शाह ने कहा कि नागरिकों की सुरक्षा पुलिस बल की पहली प्राथमिकता है. उन्होंने कहा,‘‘जिस तरह से आपराधिक गिरोह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रहे हैं, मुझे कोई कारण नहीं दिखता कि दुनिया के देशों को क्यों सहयोग और समन्वय नहीं करना चाहिए. यह हमारी पुलिस और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के समक्ष दोहरी चुनौती है, एक ओर उन्हें अपनी संप्रभु सीमा में कानून को लागू करना होता है और दूसरी ओर उन्हें वैश्विक प्रकृति के अपराधियों से निपटना होता है, जो सीमा पार से काम करते हैं.’’

अधिकतर ‘‘संवेदनशील’’ स्थानों पर राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों कम हुई हैं : अमित शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले आठ वर्षों में देश के अधिकतर ‘‘संवेदनशील’’ स्थानों पर राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों कम हुई हैं और जहां खतरा सबसे अधिक था वहां सुरक्षा स्थिति में सुधार हुआ है.
उन्होंने कहा कि इस दौरान पूर्वोत्तर के उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में ंिहसक घटनाओं में 70 प्रतिशत की गिरावट आई है और यह ‘‘सुखी पूर्वोत्तर’’ का सूचक है.

शाह ने ‘राष्ट्रीय पुलिस स्मृति दिवस’ के मौके पर यहां चाणक्यपुरी क्षेत्र में राष्ट्रीय पुलिस स्मारक में शीर्ष पुलिस और अर्धसैनिक बलों के कमांडरों को संबोधित करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी सुरक्षा स्थिति में इसी तरह सुधार हुआ है.
उन्होंने कहा, ‘‘ अधिकतर ‘‘संवेदनशील’’ स्थानों पर अब राष्ट्र-विरोधी गतिविधियां कम हुई हैं और यह हमारे लिए काफी संतोषजनक व गर्व की बात है.’’ शाह ने कहा कि पूर्वात्तर राज्यों में मोदी सरकार ने सशस्त्र बलों (अफस्पा के तहत) को दी गई विशेष शक्तियों को वापस ले लिया है और इसके बजाय क्षेत्र के उज्ज्वल भविष्य के लिए वहां के युवाओं को ‘‘विशेष अधिकार’’ दिए गए हैं.

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के हालात ऐसे हैं कि जो लोग पहले सुरक्षार्किमयों पर पत्थर फेंकते थे, वे अब ‘‘पंच’’ और ‘‘सरपंच’’ बन रहे हैं और लोकतांत्रिक तरीके से क्षेत्र के विकास में योगदान दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) से प्रभावित राज्यों में जहां ंिहसा की काफी वारदातें होती थीं, वहां ‘एकलव्य’ स्कूलों में राष्ट्रगान गाया जा रहा है और उन इलाकों में मकानों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है. शाह ने कहा कि देशभर के 35 हजार से अधिक पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों के ‘‘बलिदान’’ की वजह से ही भारत विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘ मैं आश्वासन देता हूं कि इन र्किमयों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा और मैं यह कहना चाहूंगा कि देश पुलिस की प्रतिबद्धता के कारण ही आगे बढ़ रहा है.’’ इन र्किमयों को श्रद्धांजलि देते हुए शाह ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान इन्होंने अग्रणी भूमिका निभाई.

शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार र्किमयों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और गृह मंत्रालय ने बेहतर स्वास्थ्य देखभाल सेवा सुनिश्चित करने, उनकी बेहतर आवासीय व्यवस्था तथा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के जवानों के ‘ड्यूटी रोस्टर’ (कामकाजी घंटों) को मानवीय बनाने के लिए ‘‘प्रभावी कदम’’ उठाए हैं और उसके ‘‘निश्चित परिणाम’’ भी मिल रहे हैं.

उन्होंने बताया कि 2014 में सीएपीएफ के 37 प्रतिशत जवान ही आवासीय सुविधाओं से संतुष्ट थे और अब 48 प्रतिशत जवान इससे संतुष्ट हैं. सरकार का लक्ष्य इसे अगले कुछ वर्षों में 60 प्रतिशत करने का है. शाह ने कहा कि गृह मंत्रालय ने केंद्र की स्वास्थ्य देखभाल योजना ‘आयुष्मान भारत’ के तहत सीएपीएफ के सैनिकों व उनके परिवारों को 35 लाख कार्ड बांटे हैं और उनकी सेवाओं पर अभी तक 20 करोड़ रुपये (रिइंबर्स) खर्च किए हैं.

‘पुलिस स्मृति दिवस’, लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स इलाके में 1959 में चीन के आक्रमण की जवाबी कार्रवाई के दौरान जान गंवाने वाले केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 10 जवानों की याद में मनाया जाता है. शाह ने विभिन्न केंद्रीय पुलिस और खुफिया संगठनों के प्रमुखों के नेतृत्व में पुलिस स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की. यह जान गंवाने वाले सैनिकों के सम्मान में बना 30 फुट लंबा और 238 टन भारी काले ग्रेनाइट का एक स्मारक है.

खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन कुमार डेका ने इस मौके पर बताया कि पिछले एक साल में कुल 264 पुलिस व सीएपीएफ र्किमयों की सेवाओं के दौरान जान चली गई. डेका ने कहा कि देश में आंतरिक सुरक्षा में तैनात 36,059 पुलिस और सीएपीएफ र्किमयों ने सेवारत रहते हुए जान दी.

 

 

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