अंडमान के पूर्व मुख्य सचिव से ‘सामूहिक दुष्कर्म’ मामले में सात घंटे से पूछताछ जारी

पोर्ट ब्लेयर. एक महिला से कथित सामूहिक दुष्कर्म की जांच करने के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण से शुक्रवार को लगभग सात घंटे से पूछताछ कर रहा है. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. उल्लेखनीय है कि 21 वर्षीय एक महिला ने आरोप लगाया है कि उसे तत्कालीन मुख्य सचिव नारायण के घर सरकारी नौकरी देने का प्रलोभन देकर बुलाया गया और शीर्ष अधिकारियों ने उसके साथ कथित तौर पर दुष्कर्म किया.

मामले में दर्ज प्राथमिकी में श्रम आयुक्त आर. एल. ऋषि को भी महिला से दुष्कर्म करने का आरोपी बनाया गया है जबकि पुलिस निरीक्षक और होटल मालिक को अपराध में साथ देने का आरोपी बनाया गया है. अधिकारी ने बताया कि एसआईटी ने शुक्रवार को पुलिस निरीक्षक से भी पूछताछ की. उन्होंने बताया कि नारायण को पूछताछ के लिए सुबह पुलिस लाइन लाया गया था और सात घंटे से उनसे पूछताछ की जा रही है.

नारायण को प्रदर्शनकारियों से बचाने के लिए पोर्ट ब्लेयर स्थित पुलिस लाइन के पिछले दरवाजे से पूछताछ के लिए ले जाया गया.
एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘‘उन्होंने महिला के खिलाफ जघन्य अपराध किया है. हम चाहते हैं कि महिला को न्याय मिले.’’ वरिष्ठ अधिकारी नारायण कलकत्ता उच्च न्यायालय के बृहस्पतिवार को दिए गए आदेश पर पोर्ट ब्लेयर पहुंचे.

नारायण के खिलाफ एक अक्टूबर को प्राथमिकी दर्ज की गई थी जब उनका स्थानांतरण दिल्ली वित्त निगम के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक पद पर किया गया था. सरकार ने 17 अक्टूबर को उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था. महिला ने प्राथमिकी में दावा किया है कि मुख्य सचिव ने अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह प्रशासन के विभिन्न विभागों में ‘7800 उम्मीदवारों’ की नियुक्ति बिना किसी ‘‘औपचारिक साक्षात्कार’’ के केवल ‘सिफारिश के आधार’ पर की गई है.

महिला का आरोप है कि उसे सरकारी नौकरी का प्रलोभन देकर मुख्य सचिव के आवास पर बुलाया गया और 14 अप्रैल एवं एक मई को दुष्कर्म किया गया. न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति प्रसेनजीत बिश्वास की अवकाशकालीन पीठ ने नारायण को उस तिथि तक गिरफ्तारी से अंतरिम राहत भी दे दी है, जिसे कलकत्ता उच्च न्यायालय की पोर्ट ब्लेयर स्थित र्सिकट पीठ द्वारा 14 नवंबर को दुर्गा पूजा की छुट्टियों के बाद शुरू होने वाले नियमित कामकाज के दौरान तय किया जाएगा.

उच्च न्यायालय ने कहा कि 21 जुलाई को दिल्ली स्थानांतरित किए गए नारायण ने कहा है कि वह जांच में सहयोग करने के इच्छुक हैं. अदालत ने कहा कि इस मामले में तत्काल जांच करने की जरूरत है. पीठ ने एसआईटी को इस मामले में पूछताछ करने और पूछताछ के दौरान आरोपी की चिकित्सा जांच सहित अन्य कदमों को उठाने की अनुमति दे दी.

अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह और दिल्ली पुलिस की संयुक्त टीम ने नारायण के घर पर 18 अक्टूबर को छापेमारी की कार्रवाई की थी जिसके बाद उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर ट्रांजिट अग्रिम जमानत देने का अनुरोध किया था. दिल्ली उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने उन्हें 28 अक्टूबर तक के लिए गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया था.

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