फ्रांसीसी ‘सीरियल किलर’ चार्ल्स शोभराज नेपाल की जेल से रिहा होने के बाद फ्रांस निर्वासित
काठमांडू/नयी दिल्ली. भारतीय और वियतनामी मूल के लोगों की हत्या करने वाले कुख्यात फ्रांसीसी ‘सीरियल किलर’ चार्ल्स शोभराज को यहां की एक जेल से रिहा होने के कुछ घंटे बाद शुक्रवार को फ्रांस भेज दिया गया. उसने 1970 के दशक में एशिया भर में अपने द्वारा की गई हत्याओं के लिए अधिकांश सजा यहां की जेल में काटी.
अधिकारियों ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के दो दिन बाद शोभराज (78) को काठमांडू की केंद्रीय जेल से रिहा कर दिया गया और उसके यात्रा दस्तावेजों को आगे की प्रक्रिया के लिए आव्रजन अधिकारियों को सौंप दिया गया था. नेपाल के उच्चतम न्यायालय ने शोभराज को रिहा करने और वापस उसके गृह देश भेजने का आदेश दिया था. गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव और प्रवक्ता फनींद्र मणि पोखरेल ने कहा कि शोभराज अगले दस वर्षों तक नेपाल में प्रवेश नहीं कर पाएगा.
‘द काठमांडू पोस्ट’ अखबार ने पोखरेल के हवाले से कहा, “गृह मंत्रालय ने चार्ल्स शोभराज को निर्वासित कर दिया है और अगले दस वर्षों के लिए नेपाल में उसके प्रवेश करने पर रोक लगा दी है.” शोभराज पहले कतर एअरवेज की उड़ान संख्या क्यूआर 647 से दोहा और फिर पेरिस के लिए रवाना होगा.
चार्ल्स शोभराज: ऐसा अपराधी जिसके पीछे थी कई मुल्कों की पुलिस
अपराधों को अंजाम देने के अपने तरीके से बड़े-बड़े अपराधियों को चकित कर देने वाले और जेल प्राधिकारियों को चकमा देकर कई बार फरार हुए कुख्यात, शातिर और निर्मम चार्ल्स शोभराज को वर्षों बाद नेपाल की जेल से शुक्रवार को रिहा कर दिया गया और इसी के साथ इस शातिर एवं कुख्यात अपराधी के जीवन का एक नया अध्याय शुरू हो गया.
भारतीय-वियतनामी मूल का फ्रांसीसी नागिरक शोभराज (78) इस समय बीमारी से जूझ रहा है, लेकिन एक दौर ऐसा था, जब कई देशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियां उसे पकड़ने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही थीं. कई किताबों, फिल्मों एवं टीवी कार्यक्रमों के लिए शोभराज का जीवन दिलचस्पी का विषय रहा है और कई साल बाद वह एक बार फिर से सुर्खियों में छाया हुआ है. उसका शिकार हुई कई महिलाएं अपनी हत्या के समय बिकनी पहने मिली थीं, इसलिए उसे ‘बिकनी किलर’ और कई बार जेल से भागने में सफल रहने के कारण ‘सांप’ (सर्पेंट) उपनाम दिया गया.
ऐसा संदेह है कि उसने 1970 और 1980 के दशक में एशिया में पश्चिमी देशों के करीब 20 यात्रियों की हत्या की. शोभराज 1975 में नेपाल में अमेरिकी महिला कॉनी जो ब्रोंजिक की हत्या के सिलसिले में 2003 से काठमांडू की जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा था. उसे 2014 में कनाडाई पर्यटक लॉरेंट कैरियर की हत्या का दोषी ठहराया गया और दूसरी उम्रकैद की सजा सुनाई गयी. नेपाल में उम्रकैद की सजा का मतलब 20 साल का कारावास होता है.
रिचर्ड नेविले की पुस्तक ‘द लाइफ एंड क्राइम्स आॅफ चार्ल्स शोभराज’ के अनुसार एक समय एशिया के सबसे बड़े अपराधी समझे जाने वाले शोभराज ने एक बार कहा था, ‘‘मैं अपनी मर्जी से जेल से भाग सकता हूं. मैं अपनी मर्जी से लूट सकता हूं. मैं जैसे चाहता हूं, वैसे जी सकता हूं.’’ कई अखबारों में प्रकाशित खबरों के अनुसार, शोभराज का जन्म साइगोन (मौजूदा समय में वियतनाम के हो ची मिन्ह सिटी) में हुआ था. जब वह बच्चा था, तभी उसके पिता ने अपने परिवार को छोड़ दिया था और मां के प्रेमी एवं एक फ्रांसीसी लेफ्टिनेंट ने उसे गोद ले लिया था. अपने सौतेले भाई-बहनों के कारण माता-पिता की बेरुखी झेलने वाला शोभराज बचपन से ही छोटे-मोटे अपराधों को अंजाम देने लगा था.
ऐसा बताया जाता है कि शोभराज अपने आकर्षक व्यक्तित्व से विशेष तौर पर महिलाओं को लुभाने में माहिर था. वह शुरुआत में 1960 के दशक में चोरी और लूट जैसे अपराधों के लिए पेरिस में जेल में बंद रहा. इसी दौरान उसने एक युवा एवं धनी पारसी लड़की सी. कोम्पैगनोन से पहला विवाह करने का फैसला किया. कई साल बाद उसने 2008 में नेपाल की जेल में अपने से 44 साल छोटी महिला एवं अपने नेपाली वकील की बेटी निहिता बिस्वास से शादी की. एक समय शोभराज के पीछे यूनान, फ्रांस, भारत, थाईलैंड, नेपाल और मलेशिया समेत कई देशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियां थीं.
वह 1970 के दशक में कई पश्चिमी पर्यटकों की हत्या करने के कारण इंटरपोल की सर्वाधिक वांछित अपराधियों की सूची में रहा. इससे पहले वह हथियारों की तस्करी में शामिल रहा. उसे 1976 में अपने एक साथी के साथ मिलकर नयी दिल्ली के एक होटल में इंजीनियंिरग के 30 से अधिक छात्रों को जहर देने की कोशिश करते समय गिरफ्तार किया गया था. बाद में पता चला कि उसने एक फ्रांसीसी पर्यटक की भी हत्या की है.
उसे विभिन्न अपराधों के लिए तिहाड़ जेल में 12 साल कैद की सजा सुनाई गई, लेकिन 1986 में वह कड़ी सुरक्षा वाली जेड़ तोड़कर भाग गया और सुर्खियों में आया. उसे जल्द ही गोवा के ओ’कोकेरियो रेस्तरां से गिरफ्तार किया गया और फिर वह 1997 तक जेल में रहा.
कई लोगों का मानना है कि शोभराज थाईलैंड को प्रर्त्यिपत किए जाने से बचने के लिए तिहाड़ जेल से भाग निकला था, जहां उसे पटाया में एक समुद्र तट पर छह महिलाओं को नशीला पदार्थ देने और उनकी हत्या के मामले में मौत की सजा दी गई थी. तिहाड़ जेल में रहते हुए थाईलैंड में उसके गिरफ्तारी वारंट की अवधि समाप्त हो गई थी. पिछले कई साल से नेपाल की जेल में बंद शोभराज को रिहा करके शुक्रवार को फ्रांस भेज दिया गया.