‘रेवड़ी’ जैसा विषय जनता के विवेक पर छोड़ना चाहिए: कांग्रेस

नयी दिल्ली. कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि निर्वाचन आयोग ‘रेवड़ी’ (मुफ्त चुनावी उपहार) जैसे विषयों को विनियमित करने का अधिकारक्षेत्र नहीं रखता है और ऐसे में उसे निर्वाचन कानूनों का उचित क्रियान्वयन करके स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने पर ध्यान देना चाहिए.

निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों के समक्ष आदर्श चुनाव संहिता में संशोधन का एक प्रस्ताव गत चार अक्टूबर को रखा था. आयोग ने इसके तहत चुनावी वादों की वित्तीय व्यवहार्यता के बारे में मतदाताओं को प्रामाणिक जानकारी देने को लेकर राजनीतिक दलों की राय मांगी थी.

सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय दलों को लिखे गए एक पत्र में आयोग ने उनसे 19 अक्टूबर तक इस मामले में अपने विचार साझा करने को कहा थ. इसी के जवाब में मुख्य चुनाव आयुक्त को लिखे पत्र में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा है कि यह एक ऐसा विषय है जिसे मतदाताओं के विवेक पर छोड़ देना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘‘यह न तो निर्वाचन आयोग और न ही सरकार और अदालतों के अधिकारक्षेत्र में है कि वे ऐसे विषयों को विनियमित करें. इसलिए आयोग के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थिति यही रहेगी कि वह ऐसा करने से परहेज करे.’’ निर्वाचन आयोग ने यह भी कहा था कि वह चुनावी वादों पर अपर्याप्त सूचना और वित्तीय स्थिति पर अवांछित प्रभाव की अनदेखी नहीं कर सकता है, क्योंकि खोखले चुनावी वादों के दूरगामी परिणाम होंगे.

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘16 जुलाई 2022 को प्रधानमंत्री मोदी ने बुंदेलखंड के अपने एक भाषण में पहली बार ‘रेवड़ी’ शब्द का इस्तेमाल किया. यह चौंकाने वाली बात है कि चुनाव आयोग उसके बाद जागा और रेवड़ी आदि शब्दों पर बहस करने के लिए राजनीतिक दलों से उनका जवाब मांगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि ‘रेवड़ी’ की चर्चा एक गलत दिशा में जा रही है. हम एक लोकतंत्र में रहते हैं, जहां जनमत सर्वोपरि है. ‘रेवड़ी हो या गजक’, कुछ चीजों का फÞैसला जनता पर, उनके मत पर और उनके विवेक पर छोड़ देना चाहिए.’’

सुप्रिया ने सवाल किया, ‘‘इस देश में बेरोजगारी, कम आय और महंगाई से जूझते हुए लोगों की जीविका के लिए भी अगर आप कुछ सहयोग करते हैं तो क्या वह रेवड़ी है? अगर वह रेवड़ी है तो फिर जब आप अमीरों का 10 लाख करोड़ रुपये का कजर्Þ माफ करते हैं तो वह क्या है? उनका कहना था ‘‘संविधान के अनुच्छेद 324 के अनुसार स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव करवाना चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है, कार्यक्षेत्र है, लेकिन राजनीतिक दल लोगों से क्या वादे करते हैं और लोग उनसे कितना प्रभावित होकर उन्हें वोट करते हैं- (हमारा मानना है कि) यह चुनाव आयोग का कार्यक्षेत्र नहीं है.’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘हमारा कानून कहता है कि सैन्य बलों का इस्तेमाल चुनाव में कोई भी राजनीतिक दल नहीं कर सकता. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी सहित भाजपा के कई नेताओं ने पोस्टर और भाषणों के जरिये सैन्य बलों का इस्तेमाल किया. हम इस मुद्दे को लेकर आयोग के पास गए और आयोग ने उन्हें क्लीन चिट दे दी.’’ सुप्रिया ने कहा, ‘‘कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में मनरेगा, खाद्य नियम, शिक्षा का अधिकार व ‘सूचना का अधिकार’ की बात की थी और उसे पूरा कर दिखाया.

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