यूएनएससी आतंकवाद निरोधक समिति की 28-29 अक्टूबर को भारत में होगी बैठक

नयी दिल्ली. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद निरोधक समिति की 28 और 29 अक्टूबर को मुम्बई एवं नयी दिल्ली में बैठक होगी जिसमें आतंकवादियों द्वारा इंटरनेट, नयी भुगतान प्रणालियों और ड्रोनों के उपयोग से निपटने के तौर-तरीकों पर विचार किया जाएगा.

संयुक्त राष्ट्र में भारतीय राजदूत रुचिरा कंबोज ने यहां संवाददाताओं को बताया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद निरोधक समिति (यूएनएससी-सीटीसी) भारत में होने वाले आतंकवाद रोधी सम्मेलन में आतंकवादियों द्वारा इंटरनेट, नयी भुगतान प्रणालियों और ड्रोनों के उपयोग से निपटने पर विचार करेगी.

उन्होंने कहा, ‘‘ आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है जिसका मानवता को सामना करना पड़ रहा है. ’’ कंबोज ने कहा कि आतंकवाद अच्छा या बुरा नहीं हो सकता और जो लोग इस तरह की बातें करते हैं, उनका अपना एजेंडा होता है .

उन्होंने कहा, ‘‘ आतंकवाद को किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता है…चाहे वह किसी स्थान पर और किसी के द्वारा अंजाम दिया जा रहा हो . ’’ वहीं, विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) संजय वर्मा ने कहा कि यूएनएससी-सीटीसी द्वारा भारत में यह दो दिवसीय आतंकवाद रोधी सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है जिसकी शुरूआत 28 अक्टूबर को मुम्बई से होगी .

उन्होंने बताया कि 28 अक्टूबर को मुम्बई में होटल ताजमहल पैलेस में 26/11 आतंकी हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित की जायेगी . इस दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर मौजूद रहेंगे . इसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 सदस्य सहित अन्य प्रतिनिधि शामिल होंगे .

वर्मा ने कहा कि ब्रिटेन के विदेश मंत्री जेम्स क्लेवरली, गेबन के विदेश मंत्री माइकल मूला अदामो समेत अन्य देशों के विदेश मंत्री भारत में संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद निरोधक समिति के सम्मेलन में सम्मिलित होंगे. उन्होंने बताया कि 29 अक्टूबर को नयी दिल्ली में बैठक होगी जिसमें तीन बिन्दुओं पर आधारित एजेंडे पर चर्चा होगी . इसमें आतंकवादियों द्वारा सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के दोहन से मुकाबला, आतंकवादियों द्वारा इंटरनेट एवं नये भुगतान तौर तरीकों के दुरूपयोग से निपटने और ड्रोन सहित मानव रहित वाहन के उपयोग से निपटने को लेकर चर्चा होगी .

इस अवसर पर सीटीसी शाखा के प्रमुख डेविड सचारिया ने कहा कि नयी एवं उभरती प्रौद्योगिकी के काफी लाभ है और कोविड काल में हमने इसका अनुभव किया है लेकिन अगर यह आतंकवादियों के हाथ में चली जाए तब इसका काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. उन्होंने कहा कि ऐसे में सभी सदस्यों देशों ने अनुभव किया कि यह समय इस दिशा में कदम उठाने का है और इस दिशा में हमारे सभी प्रयास वैश्विक होने चाहिए.

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