अमित शाह ने भारत-नेपाल सीमा की BOP फतेहपुर से एसएसबी की 5 सीमा चौकियों के भवनों का उद्घाटन किया…

किशनगंज. बिहार के सीमांचल क्षेत्र और पश्चिम बंगाल के कुछ सीमावर्ती जिलों को मिलाकर क्या केंद्र शासित राज्य बनाए जाने की योजना है? हाल में बिहार के राजनीतिक-सामाजिक हलकों से लेकर आम जनता के बीच ये चर्चा का विषय बना हुआ था. खास तौर पर इस चर्चा ने तब और जोर पकड़ा जब बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद गृह मंत्री ने पूर्णिया और किशनगंज जिलों के दौरे की योजना बनाई.

इस बीच यह चर्चा कभी जोर पकड़ती रही तो कभी थोड़ी मंद हुई. अब जब अमित शाह बिहार पहुंचे तो उनके दौरे के दूसरे दिन शनिवार को किशनगंज में अनौपचारिक बातचीत में पत्रकारों ने उनसे सवाल पूछ लिया कि क्या केंद्र सरकार ऐसी किसी योजना को लेकर गंभीर है? इस पर तत्काल ही अमित शाह ने जवाब दिया और स्थिति स्पष्ट कर दी.

अमित शाह ने किशनगंज में अनौपचारिक बातचीत में मीडियाकर्मियों से कहा कि सीमांचल के जिलों को केंद्र शासित प्रदेश (यूनियन टेरेट्री) नहीं बनाया जाएगा. यह बिहार का हिस्सा है और बिहार में ही रहेगा. सबकी सुरक्षा होगी और क्षेत्र में रहनेवाले लोगों को किसी भी तरह से असुरक्षित महसूस करने की जरूरत नहीं. सीमावर्ती इलाके की सुरक्षा जरूरी है, इसलिए हमलोग इस क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर इस पर काम कर रहे हैं. राज्य को अलग क्यों करेंगे?

बता दें कि चर्चा यह थी कि पश्चिम बंगाल और बिहार के कुछ जिलों के 20 विधान सभा क्षेत्रों को मिलाकर केंद्र शासित राज्य बनाया जाएगा. सबसे पहले पटना के दैनिक समाचार पत्र में इसको लेकर एक खबर प्रकाशित हुई थी. इसके बाद से ही आम से लेकर खास तक, सभी के मन में इस बात को लेकर सवाल उठ रहे थे.

हालांकि, भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने इस बात को पहले ही खारिज कर दिया था. मगर ये चर्चा बिहार निवासियों के बीच बदस्तूर जारी रही. अब जब स्वयं गृह मंत्री अमित शाह ने भले ही अनौपचारिक बातचीत में ही सही, इसको लेकर केंद्र सरकार का रुख साफ कर दिया है तो संशय की सारी स्थिति दूर हो गई है.

Related Articles

Back to top button