कांग्रेस-रहित विपक्ष की एकता में यकीन करना खुशफहमी में रहना है :जयराम रमेश

कोलकाता/नयी दिल्ली. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी को धुरी बनाये बगैर विपक्ष की एकता में यकीन करने वाले गैर-भाजपा दल संभवत: ‘खुशफहमी’ में हैं. उन्होंने किसी पार्टी का नाम लिये बगैर कहा कि कई क्षेत्रीय दलों ने अपना स्वार्थ साधने के लिए कांग्रेस की पीठ में छुरा घोंपा है और इस तरह के दलों को कांग्रेस को ‘पंंिचग बैग’ के रूप में इस्तेमाल करना बंद करना चाहिए.

रमेश ने कहा, ‘‘कांग्रेस को अपनी धुरी बनाये बिना विपक्ष की कोई एकता नहीं हो सकती.’’ कांग्रेस के एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए यहां आए रमेश ने ‘पीटीआई-भाषा’ से एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘यदि कोई गैर-भाजपा संगठन यह सोचता है कि कांग्रेस के बगैर कोई गठबंधन पांच वर्षों के लिए स्थिर सरकार दे सकता है तो यह खुशफहमी में रहने जैसा है. कांग्रेस के बगैर विपक्ष की कोई एकता नहीं हो सकती.’’ उन्होंने आम आदमी पार्टी (आप) को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ‘‘बी टीम’’ बताया.

रमेश ने कहा, ‘‘हमने पहले भी कहा है…यह साबित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य है कि आप, भाजपा की ‘बी टीम’ है. यदि इसके (आप के) इतिहास या इसके नेताओं की पृष्ठभूमि को देखेंगे, तो यह पता चल जाएगा.’’ हालांकि, वह तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बारे में विश्लेषण करते हुए बस इतना कहकर रुक गये कि ‘‘इसके (तृणमूल कांग्रेस के) नाम में ही ‘कांग्रेस’ है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘तृणमूल कांग्रेस के बारे में, मुझे आकलन करना बाकी है, लेकिन मुझे लगता है कि उसके भी नाम में ‘कांग्रेस’ है.’’ रमेश ने किसी का नाम लिये बगैर कहा कि जो लोग कांग्रेस के बगैर विपक्ष की एकता की बात करते हैं वे सिर्फ विपक्षी मोर्चा और उनकी पार्टी (कांग्रेस) को कमजोर करना चाहते हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘गठबंधन में, आप कुछ चीज देते हैं और इसके बदले में कुछ चीज पाते हैं. यह एक तालमेल होता है. अब तक, कांग्रेस बलिदान देती रही है और हर कोई इससे लाभान्वित हुआ है. और फायदे पाने के बाद, उन्होंने कांग्रेस को कमजोर करने के लिए उसका इस्तेमाल ‘पंंिचग बैग’ के रूप में करने की कोशिश की है. इसे अब रोकना होगा.’’ रमेश ने कांग्रेस को भारतीय राजनीति का प्रमुख दल बताते हुए कहा कि किसी को भी उसे खारिज करने की गलती नहीं करनी चाहिए.

कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बारे में उन्होंने कहा कि यात्रा का परिणाम एक मजबूत कांग्रेस और अधिक टिकाऊ एवं रचनात्मक विपक्ष के रूप में सामने आएगा. पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने कहा, ‘‘हमने राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर यात्रा की शुरुआत की. यह देश एक ऐसी स्थिति से गुजर रहा है, जहां भाजपा और उसकी विभाजनकारी राजनीति के चलते राजनीति, अर्थव्यवस्था और संस्थानों का क्षरण हो रहा है. यात्रा का एक अन्य उद्देश्य 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार करना है.’’ रमेश ने कहा कि यह यात्रा लोकसभा चुनावों से पहले की तैयारी के लिए राज्य विधानसभा चुनाव के प्रति लक्षित नहीं हैं.

यह सवाल किये जाने पर कि कांग्रेस ‘भारत जोड़ो’ की बात कर रही है जबकि पार्टी खुद अव्यवस्थित है, रमेश ने कहा कि संगठन अपने अंदरूनी मुद्दों को ठीक करने की कोशिश कर रहा है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने सात सितंबर को कन्याकुमारी से कश्मीर तक की करीब 3,650 किमी लंबी पदयात्रा शुरू की है.

कांग्रेस के ‘जी-23’ नेताओं पर तंज कसते हुए रमेश ने कहा कि 65 साल की आयु के बाद वरिष्ठ नेताओं को ‘मेंटर’ (परामर्शदाता) के तौर पर काम करना चाहिए. साथ ही, उन्हें अगली पीढ़ी के नेताओं को तैयार करना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को मेंटर के रूप में काम करना चाहिए. मैं अब 68 वर्ष का हूं और मेरा मानना है कि 10 या पांच साल पहले जैसी मुझमें अब ऊर्जा नहीं है. 65 वर्ष की आयु के बाद 30 से 49 साल तक की आयु के लोगों को अगली पीढ़ी के नेता के तौर पर तैयार करना चाहिए.

वरिष्ठ नेताओं के पार्टी छोड़कर जाने पर रमेश ने कहा कि जिन लोगों को पार्टी से सबकुछ मिला वे अब कांग्रेस को छोड़ रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस को दो प्रकार के लोग छोड़कर जा रहे हैं. पहली श्रेणी में ऐसे लोग हैं, जिन्हें पार्टी से काफी फायदा मिला. गुलाम नबी आजाद इसका एक उदाहरण हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘दूसरी श्रेणी के लोग जांच एजेंसियों से बचने के लिए पार्टी छोड़कर जा रहे हैं. कांग्रेस के सर्मिपत सदस्य पार्टी छोड़कर कभी नहीं जाएंगे.’’ यह पूछे जाने पर कि क्या ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का विचार 1990 के दशक में की गई भाजपा की ‘राम रथ यात्रा’ से लिया गया है, रमेश ने इसका जवाब ‘ना’ में दिया.

जयराम रमेश ने चीतों के पुनर्वास को लेकर पिछली सरकारों की आलोचना पर मोदी की खिंचाई की

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने रविवार को ट्विटर पर एक पत्र साझा करते हुए दावा किया कि उन्होंने 2009 में ‘प्रोजेक्ट चीता’ की शुरुआत की और भारत में चीतों को लाने के लिए पिछली सरकारों के रचनात्मक प्रयास नहीं करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आरोपों पर उन्हें ‘‘अविवेकपूर्ण झूठा’’ करार दिया.

प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा था कि सात दशक पहले देश से विलुप्त हो जाने के बाद भारत में चीतों को फिर से लाने के लिए कोई रचनात्मक प्रयास नहीं किए गए. मोदी ने यह टिप्पणी मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के कुनो नेशनल पार्क (केएनपी) में नामीबिया से लाए गए आठ में से तीन चीतों को विशेष बाड़ों में छोड़ने के बाद की थी.

रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘यह वो पत्र है, जिसके जरिए 2009 में ‘प्रोजेक्ट चीता’ शुरू किया गया था. हमारे प्रधानमंत्री अविवेकपूर्ण झूठे हैं. मैं कल इस पत्र को जारी नहीं कर सका क्योंकि मैं ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में व्यस्त था.’’ ट्वीट के साथ उन्होंने उस पत्र को साझा किया, जो उन्होंने तत्कालीन पर्यावरण और वन मंत्री के रूप में 2009 में भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट के एम. के. रंजीतसिंह को लिखा था. पत्र में रमेश ने रंजीतसिंह को चीतों के पुनर्वास के लिए एक कार्ययोजना तैयार करने और उसमें पुनर्वास के लिये विभिन्न संभावित स्थलों का विस्तृत विश्लेषण शामिल करने को कहा था.

रमेश की इस टिप्पणी पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. मोदी ने शनिवार को अपनी टिप्पणी में कहा था, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमने 1952 में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया, लेकिन दशकों तक उन्हें भारत में फिर से लाने के लिए कोई रचनात्मक प्रयास नहीं किया गया. इस ‘अमृत काल’ के दौरान चीतों के पुनर्वास के लिए अब नयी ताकत और जोश के साथ, देश ने इस परियोजना को शुरू किया है.’’

कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी की मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान में चीतों को छोड़े जाने को एक ‘‘तमाशा’’ कहा था, जिसे उन्होंने राष्ट्रीय मुद्दों और ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से ध्यान भटकाने का एक और पैंतरा बताया था. रमेश ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ‘‘शासन में निरंतरता को शायद ही कभी स्वीकार करते हैं’’ और चीता परियोजना इसका ताजा उदाहरण है.

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